पबजी गेम खेलने से बर्बाद हो रही जिंदगियां।

Living lives ruined by playing pajzi games

विगत दिनों एक बच्चा जोर से चिल्लाया और मर गया। अचानक हुई इस घटना से लोग बेहद हैरान हुए लेकिन जब हकीकत का पता चला तो सबके होश उड़ गए। यह लड़का पबजी गेम को खेलने की वजह से मरा था। उसके दिल और दिमाग पर गेम ऐसे छा चुका था कि वो पूर्ण रुप से उसकी चपेट में आ चुका था या यू कहें कि उसकी सारी दिमागी शक्ति छीन ली थी। ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। तमाम जगह यह गेम बैन भी हो चुका है लेकिन इस पर हो रही घटनाएं घटने की बजाए लगातार बढ़ रही हैं जिससे हमारी नई पीढ़ी पर एक बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

दरअसल कुछ दिनों पहले एक विडियो गेम पबजी मार्किट में आया जिसको हमारे देश में बहुत पसंद किया जा रहा है। इससे पहले जो भी गेम्स आते थे उसे केवल बच्चे ही पसंद किया करते थे लेकिन यह गेम ऐसा है जिसकी हर आयु वर्ग के लोगों में रुचि लगातार बढ़ रही है। इस गेम के विषय में जाना तो इसमें कई लोग एक साथ खेल सकते हैं। वह इसमें लूट पाट भी एक प्रक्रिया है। युवाओं व उम्रदराज लोगों का तो यह समय बेकार कर रहा है लेकिन बच्चों को चोर व डाकू बना रहा है। लगातार खबरों से यह तो पता चल रहा है कि इससे प्रतिदिन सैंकडों घराने खराब हो रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

इससे स्कूली बच्चों के पढ़ाई लिखाई पर बेहद कु-प्रभाव पड़ रहा है। जब से स्कूल का कोर्स या होमवर्क संबंधित साइटों पर आया है तब से बच्चे को माता पिता से मोबाइल इस बहाने से ले जाते हैं लेकिन माता पिता इस घटना से अंजान रहते हैं कि बच्चे उस आड़ में पबजी गेम खेल रहे हैं। आपको ज्ञात हो अब से लगभग दो दशक पूर्व बच्चे स्कूल गोल करते थे। गोल से अभिप्राय स्कूल से बंक मारना अर्थात स्कूल न जाना होता है। चूंकि दो दशकों में पूर्ण रुप से दौर बदला तो कंपिटिशन का जमाना आ गया। इस वजह से बच्चों की शिक्षा मे निरंतर सुधार आने लगा व बच्चे अपनी पढ़ाई लिखाई व करियर की ओर गंभीर होते चले गए।

अब देखा जाने लगा था कि बंक प्रक्रिया बेहद कम या यूं कहें कि खत्म हो चुकी थी लेकिन इस दुर्भाग्य ने फिर से इतराना प्रारंभ कर दिया चूंकि पबजी ने बच्चों की बुध्दि फिर से अपने वश में कर ली। विशेषज्ञों के अनुसार पबजी लोगों के मस्तिष्क पर इस एक प्रकार के नशे की तरह हावी हो जाता है जिसकी लत छुडाना ऐसा हो गया मानों किसी की शराब या अन्य नशे को किसी के जीवन से खत्म करना हो। सरकारी से प्राइवेट स्कूल तक बच्चें अब पार्कों,रेस्ताओं व अन्य कई स्थानों पर यह खेल खेलते दिखाई देने लगे हैं। पबजी खेलने वाले बच्चों की पर्सेंटेज कम आने लगी। माता पिता के लिए बेहद चिंता का विषय बना यह मुद्दा अब देश के हर राज्य,मौहल्ले व घरों में दिखने लगा। जिस घर में स्कूली बच्चे हैं उन पेरेंट्स को गंभीर होने की जरुरत है। दिल्ली के एक बच्चे ने कई लोगों को एक प्लेटफॉम पर इक्कठा करके उनसे पेटीएम द्वारा पैसा लेकर खिलवाया हुआ देखा गया। गेम के अंदर एक खिलाड़ी को मारने पर 20 रुपये भी मिलते थे लेकिन जब वो फेल हुआ तो उसके मां-बाप को सारी हकीकत पता चली।

इसके अलावा अब बात करें युवाओं व उनसे ऊपर की पीढ़ी की तो इन लोगों की जिंदगी में इस गेम ने उनको इस हाल में पहुंचा दिया की उनको अपने जीवन की परवाह ही नही बची व इसकी वजह से बर्बादी का आलम दस्तक दे चुका है। कई युवा जब कंपनियों में अपनी पफोर्मेंस देने में विफल होने लगे तो इसका कारण पबजी खेलना बताया गया। पहले तो यह घटना बेहद हास्यप्रद लगी लेकिन जब इसकी गंभीरता का आंकलन किया तो वाकई चिंता का विषय निकला। ग्रेटर नोएडा मे काम कर रहे कुछ युवाओं ने तो इस गेम के चक्कर में अपनी नौकरी तक छोड़ दी। दरअसल मामला यह था कि एक बड़ी कंपनी ने हरेक कर्मचारी को लंच के अलावा भी एक ब्रेक देने की व्यवस्था दे रखी थी जिसमें हरेक की टाइमिगं अलग है लेकिन वो सभी युवा एक साथ जाते थे, लंच के अलावा भी अलावा वाले ब्रेक में एक साथ निकल कर पबजी खेलने लगे जिस पर मैनेजर ने आपत्ति जताई तो उन लोगों ने अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर बेरोजगारी को गले लगा लिया।

विशेषज्ञों ने पबजी को ब्लू व्हेल से ज्यादा घातक घोषित कर दिया। पिछले हफ्ते गुजरात सरकार ने इसे पूर्ण रुप से प्रतिबंधित कर दिया। गुजरात के शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को निर्देश जारी किया कि बच्चों को पबजी या अन्य गेमों से होने वाले नुकसान से अवगत कराते हुए इनके दुष्परिणाम समझाएं। मेरा मानना यह है कि है कि जब इस तरह के गेम भारत में लांच होते हैं तो इन पर नजर रखी जानी चाहिए। कुछ बच्चों सभी घटनाओं को मध्यनजर रखते हुए पबजी या किसी गेम को अपनी जिंदगी में इतना हावी नहीं होने देना चाहिए कि वो आपकी जिंदगी को ही तबाह कर दें। यहां बच्चों के साथ बहुत एतिहाद बरतने की जरुरत है क्योंकि यदि अभी से वो इसके शिकार हो गए तो निश्चित तौर पर उस बच्चे के साथ उस परिवार का भविष्य बर्बाद होना तय है। इसके अलावा युवाओं व अन्य आयु वर्ग को स्वंय समझने व संभलने की जरुरत है वरना जिंदगी में अंधकार के सिवाय कुछ नही बचेगा।
-योगेश कुमार सोनी

 

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