लिव इन रिलेशन को लेकर मीडिया में तरह तरह की खबरे छपती रहती है। कई प्रकरणों में तो न्यायालय ने भी अपनी राय व्यक्त की है। कई साल लिव इन में रहने के बाद कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा रहा है। एक मामले में तो कोर्ट ने लिव इन में रहने वाली एक लड़की द्वारा दर्ज रेप के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कई साल साथ रहने के बाद इस प्रकार के आरोपों में कोई दम नहीं है।
कहीं साथ रहने के तो कहीं विछोह के सैंकड़ों मामले देशभर के न्यायालयों में चल रहे है। कहीं हत्या के समाचारों से आमजन स्तब्ध है तो कहीं लड़के लड़कियां अपने परिवार से विद्रोह कर अपने लिए लिव इन रिलेशन का रास्ता चुन रहे है। ऐसे मामलों की भी कमी नहीं है जिनमें युवक और युवती धर्म परिवर्तन कर लिव इन में रह रहे है। कोई माता पिता की सहमति से लिव इन का रास्ता अख्तियार कर रहा है तो कहीं अभिभावकों के उग्र विरोध का सामना किया जा रहा है। कहने का तात्पर्य है कि लिव इन रिलेशन इतिहास की पुरात्तन उस बारात का रूप ले रही है जिसमें भांति-भांति के स्वांग रचकर नाना प्रकार के लोग शामिल हुए थे।
मगर हाल ही में घटित कुछ घटनाओं के बाद इस पर देशभर में चचार्ओं का बाजार गर्म है। लिव इन रिलेशनशिप का मतलब है जहां एक लड़का और लड़की बिना शादी के एक-दूसरे के साथ एक ही घर में रहते हैं। दोनों बिना शादी के किसी पति-पत्नी के तरह ही रहते हों। इस मुद्दे को लेकर पिछले कुछ सालों से देश में बहस भी छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे जायज कहते हैं, तो कुछ इसे नाजायज।
लिव-इन रिलेशनशिप का चलन भले ही शुरू हो चुका है। लेकिन भारत जैसे देश में लिव-इन रिलेशनशिप को अभी अच्छी नजर से नहीं देखा जा रहा हैं। हम खुद को कितना ही आधुनिक समझें मगर आज भी हमारे देश में लिव-इन रिलेशनशिप को बुरी नजर से देखा जाता हैं। पाश्चात्य कल्चर को फॉलो करते हुए भारत में भी लिव-इन रिलेशनशपि आम हो गया है महानगरों में कई लोग शादी से पहले लिव-इन में रहते हैं। बड़े शहरों में लिव इन रिलेशन का कॉन्सेप्ट युवाओं को बहुत भा रहा है, मगर ऐसे रिश्तों का अंत सुखद ही हो जरूरी नहीं है। पाश्चात्य देशों की नकल पर बना एक विवादास्पद लेकिन आधुनिक लाइफ जीने के लिए यह एक अनूठा और दिलचस्प रिश्ता है जिसमें शादी की पुरानी मान्यता को दरकिनार करते हुए जोड़े साथ रहते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप की शुरूआत महानगरों के शिक्षित और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र ऐसे लोगों ने की थी जो विवाह संस्था की जकड़ से छुटकारा चाहते थे और उसी तरह से अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के लिए निभाते है जैसे वो शादी करने के बाद करते। इन संबंधों में खास बात यह है कि वे किसी नैतिक दवाब का सामना नहीं करते।
ऐसे लोग जब चाहे तभी एक दूसरे से अलग हो सकते है। विवाह को हमारे देश भारत में धार्मिक भावना से जोड़कर देखते हैं जिसमें अपने जीवनसाथी के साथ जीवनभर के लिए वफादार रहने का प्रण लेते हैं और इसे इतना पवित्र और खास समझे जाने के पीछे महिला की सुरक्षा निहित है। लिव इन की खिलाफत करने वाले कहते हैं ज्यादातर लिविंग रिलेशन उन युवाओं में पाए गए हैं जो घर से दूर रह रहे हैं। उनके परिवार वालों को इस रिश्ते की कोई खबर नहीं होती। लिविंग रिलेशन में रह रहे लड़के-लड़कियां अपने मां-बाप या घरवालों से अपने रिश्ते को छुपाकर रखते हैं। जब रिश्ता बिगाड़ की श्रेणी में आ जाता है तब इसका भांडा फूटता है।
लिव इन रिलेशन पर गुरु
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारे अनुसार ये सही नहीं है। हमारा कल्चर बहुत ही स्वस्थ है। जब आप 6 महीने साल रहते हैं चलो बाकी बात नहीं, आपके घर के बाहर गुलाब के फुल लगे हैं पहले दिन आप बहुत अच्छे से देखते हैं, बहुत सुंदर है, बड़ी इसकी खुशबु लेते हैं, लेकिन एक महीने, दो महीने, चार महीने बाद आपको पता नहीं रहता कि आपके घर के आगे गुलाब के फूल भी लगे हैं, क्योंकि आप बिजी है, भागके आते हैं और गेट खोला अंदर चले जाते हैं, कोई खुशबु नहीं आ रही, कोई बदबू नहीं आ रही, आप भागते रहते हैं। उसी तरह से संबंध हैं, रिश्ते नाते हैं कि भाई आप लगातार इस तरह से करते रहेंगे।
आप रह रहे हैं इकट्ठे, एक साथ रह रहे हैं तो आप एक-दूसरे की आदतों के आदि हो जाते हैं और फिर जब आदि हो गए तो आप चेंज ढूंढते हैं, आपका माइंड कहता है कि अपना कौन सा रिश्ता बना हुआ है, आपा कौन से रिश्ते में बंधे हुए हैं। ब्रेकअप पार्टी देकर ब्रेकअप करते हैं आप। गजब तो ये है ना, पहले ये प्यार था कि रिश्ते असल में तो रिश्ते टूटते ही नहीं थे, टूटता था तो मंजनू या जो-जो नाम दिए हैं वो ऐसे ही नहीं दिए गए, लोग रोते थे, तड़फते थे एक-दूसरे के बिना। लेकिन आज तो हैरानीजनक है रिश्ता टूट गया तो खुशी मनाते हैं, चलो ब्रेकअप की पार्टी हो रही है, बनता है तो आप पार्टी दे रहे होते हैं कि नया रिश्ता बन रहा है। क्योंकि उनको एनजोवायमेंट हो गई, चार महीने इसके साथ रह लो कोई हर्ज नहीं, चार महीने उसके साथ रह लिए।
इससे बीमारी फैलने का बहुत ज्यादा डर है, इससे आपके माइंड में पॉजिटिव वेबस हैं वो नहीं आ पाएंगी, जल्दी से नेगेटिव वेबस घर कर जाएंगी और आपके लिए मुश्किल पैदा कर देंगी तो इसलिए आप लोगों से गुजारिश, हम आपसे ये ही चाहते हैं कि आप अमल कीजिएगा और सबसे पहले विल पावर पैदा कीजिए जो हर समस्या का हल है। विल पावर के लिए कोई काम नहीं छोड़ना, हाथोें-पैरो से कर्म करते रहिए कर्मयोगी और जीभा ख्यालों से ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम थोड़ा-थोड़ा लेते रहिए, क्या जोर लगता है आपका।
आप गाड़ी चला रहे हैं या पैदल जा रहे हैं, चलना पैरो से है देखना आँखों से है, हाथ-पैर चल रहे हैं, जीभा तो नहीं चल रही, चल रही है दूसरो का बेड़ा गर्क करने के लिए और खुद का बेड़ा गर्क करने के लिए। आप दूसरों के बारे में बुरा सोचते जा रहे हैं, नेगेटिव सोच आती जा रही है, क्यों ना आप ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु का नाम लें, राम-नाम से आत्मबल भी आएगा और यकीनन आपकी हर समस्याओं का हल आत्मबल में ही छिपा हुआ है तो आप उसको हासिल करिए, हमारा आशीर्वाद है।
क्या है लव इन रिलेशनशिप
लिव इन रिलेशनशिप पश्चिमी देशों से आया है और वहां के लिए यह आम बात है, लेकिन भारतीय सभ्यता में बिना शादी के एक स्त्री-पुरुष के साथ रहने को स्वीकार नहीं किया जाता, लेकिन बदलती जीवन शैली में इसे भारत में भी अपनाया जाने लगा है। चूंकि आज लिव इन रिलेशनशिप में रहना बड़े शहरों में आम हो जा चुका है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानून वैध करार दिया है। चूंकि लिव इन को लेकर भारतीय संसद ने कोई कानून पारित नहीं किया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही इस मामले में कानून की तरह काम करता है।
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