नई दिल्ली (एजेंसी)। शराब व्यक्ति को न सिर्फ धन की हानि पहुँचाती है बल्कि सुख, शांति और चैन छीनकर कलह-कलेश और घरों के टूटने का कारण बन जाती है, वहीं अगर इस पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो कितनी ही समस्याएं स्वयंमेव समाप्त हो जाती हैं। जी हां, ये बातें सामने आई हैं द् लांसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट जर्नल (The Lancet Regional Health South East Journal) में प्रकाशित एक अध्ययन में। Liquor Prohibition
18 लाख लोग मोटापे सहित बीमारियों का शिकार होने से बचे
इस अध्ययन के अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू करने से घरेलू हिंसा के 21 लाख मामलों में कमी दर्ज की गई, जिससे इन परिवारों में खुशियां लौटी। इसके साथ ही शराब पीने के 24 लाख मामले घट गए। दरअसल बिहार में साल 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी। इस प्रतिबंध के राज्यवासियों की सेहत के लिए भी सुखद परिणाम सामने आए, जिनमें शराब का सेवन छोड़ने से 18 लाख लोग मोटापे सहित विभिन्न बीमारियों का शिकार होने से बच गए। खास बात ये भी है कि अनुसंधानकर्ताओं की इस टीम में अमेरिका अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के सदस्य भी शामिल थे। टीम ने राष्ट्रीय और जिला स्तर पर स्वास्थ्य और घर-घर जाकर किए सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि शराबबंदी की सख्त नीतियां घरेलू हिंसा के कई पीड़ितों और शराब के आदी लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से लाभकारी साबित हो रही हैं।
हर तरह की हिंसा में कमी | Liquor Prohibition
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि शराब बंदी के चलते बिहार में महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा में कमी की पुख्ता बात सामने आई। वहीं भावनात्मक हिंसा में 4.6 प्रतिशत और यौन हिंसा में 3.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा ही प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे नीति निर्माताओं के लिए इस अध्ययन के नतीजे बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
दिखा बड़ा बदलाव | Liquor Prohibition
अध्ययन के लेखकों ने बताया कि शराब पर प्रतिबंध से पहले बिहार के पुरुषों में शराब का सेवन 9.7% से बढ़कर 15% पहुँच गया था। पड़ोसी राज्यों में 7.2% से बढ़कर 10.3% दर्ज किया गया। प्रतिबंध के बाद इस प्रवृत्ति में बहुत बड़ा बदलाव नज़र आया। बिहार में साप्ताहिक शराब के सेवन में 7.8 प्रतिशत गिरावट आई, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह बढ़कर 10.4 हो गई। गौरतलब है कि अप्रैल 2016 में बिहार में शराब के विनिर्माण, परिवहन, बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया था।
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