सच कहूँ/जसविन्द्र
सरसा। ‘‘तुम मौला भी हो और फकीर भी हो, बनती हैं जहां तकदीरें वो नजीर भी हो।’’ शायर की इन पंक्तियों को हकीक़त होते देखा। मुर्शिद-ए-कामिल की मोहब्बत को दिल में बसाए हँसी-खुशी, जश्न का माहौल, एक-दूसरे को मुबारकबाद का सिलसिला बेमिसाल। ये नज़ारा था डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी धाम, सरसा का। ये मुक्कद्स अवसर था ‘एमएसजी गुरमंत्र दिवस’। हर जुबाँ पे यही लफ्Þज थे ‘एमएसजी गुरुमंत्र भण्डारे’ की बधाई हो। दूर-दूर जहां तलक नज़र का इख़्त्यिार था, सिर्फ लोगों का हुज़ूम और कतारें की कतारें दिखी। हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सर्वधर्म से जुड़े लाखों लोगों ने इस पाक-पवित्र दिवस पर अपनी हाज़री लगाई।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से आए रहमान ने कहा, ‘‘वाह! मेरे मौला तेरा लाख-लाख शुक्रिया, जो हम पर इतना रहमोकरम बरसा रहे हो। हमारे पीरो-मुर्शिद जैसा कोई नहीं है, जिनका हर लम्हा कायनात की भलाई में गुजरता है। हर कदम हमारा साथ देते हैं।’’ सोनीपत की संतोष बोली, ‘‘पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के इतने उपकार हैं, लिख-बोलकर बयां नहीं कर सकते। हर पल सतगुरु जी हमारा साथ दे रहे हैं। आज भी हर काम को संवार रहे हैं। उनका जितना शुक्राना करें उतना कम है।’’ राजस्थान के श्रीगंगानगर से आई मीना ने कहा, ‘‘मझधार में फंसी हमारी नैया को सतगुरु ने बाहर निकाला है और आज किसी चीज की कमी नहीं है।
हर जायज मांग को पूज्य गुरु जी पूरी कर रहे हैं।’’ किसी ने कहा, ‘‘हमें सतगुरु ने दोबारा ज़िंदगी बख्शी है’’ तो कोई बोला-‘‘नशों से बदहाल थे, सतगुरु के चरणों से जुड़कर जीवन में बहारें छा गई।’’ अनेक लोगों ने अपनी ज़िंदगी के ऐसे तजुरबात से रूबरू करवाया। इस तरह पाक पवित्र दिवस पर सतगुरु के गुणगान के साथ हर झोली खुशियों से भरी।
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