नयी दिल्ली। देश में वायु प्रदूषण का स्तर पिछले दो दशक में 42 प्रतिशत बढ़ा है जिसके कारण लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 5.2 साल कम हो गई है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान की आज जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संस्थान के अनुसार, यदि वायु प्रदूषण में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कमी कर ली जाये तो भारतीयों की औसत उम्र 5.2 साल बढ़ जायेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1998 के मुकाबले देश में प्रदूषण 42 फीसदी बढ़ा है जिससे जीवन प्रत्याशा कम हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जीवन प्रत्याशा में 9.4 साल, उत्तर प्रदेश में 8.6 साल, हरियाणा में आठ साल, बिहार में 7.6 साल और पश्चिम बंगाल में 7.1 साल की कमी आई है।
रिपोर्ट में जारी वायु प्रदूषण जीवन सूचकांक के अनुसार, देश की 84 प्रतिशत आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहाँ प्रदूषण राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के मानकों से अधिक है। एक-चौथाई आबादी प्रदूषण के उस स्तर का सामना करती है जो दुनिया में अन्यत्र नहीं पाया जाता। संस्थान के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा कि इस समय कोरोना वायरस के संकट पर जितना ध्यान दिया जा रहा है उतनी गंभीरता से यदि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काम किया जाता तो दुनिया में करोड़ों लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी पाते। भारत में इस समस्या का हल मजबूत नीति बनाकर हो सकता है।
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