बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी ने फरमाया कि पता नहीं कितने बच्चे गुजर जाते हैं पूरे वर्ल्ड में भुखमरी की वजह से, गरीबी की वजह से, अपंग हो जाते हैं। हे मालिक! रहमत कर, ऐसा नहीं है कि तेरे बच्चों के पास पैसा नहीं है, बहुत से लोग हैं जिनके पास खूब पैसा है, बहुत से लोग हैं एक-एक रुपया तो निकाल ही सकते हैं। तो सारे मिलकर एक मुहिम चलाइये, आने वाले भविष्य को तंदुरूस्त बनाइये, ये आपसे हाथ जोड़कर विनती है। और इस कार्य को आप ये नाम भी दे सकते हैं कि आने वाला भविष्य तंदुरूस्त कैसे करें? या आने वाले भविष्य को तंदुरूस्त करना, शिशु संभाल, पहले शायद ये नाम दिया जा चुका होगा पर आज से ये भी आप रख सकते हैं।
कोई भी मुहिम बना लीजिये, मकसद, असली उद्देश्य यही है कि उस माँ को कुपोषण का शिकार ना होना पड़े, जिसके गर्भ में आने वाला भविष्य पल रहा है तो आप ये कार्य, हमें पूरा यकीन है कि जरूर दिल से अपनाएंगे, जरूर उनकी मदद करेंगे और जितने भी बच्चे गरीबी रेखा से नीचे हैं, हमारी सरकारें मदद कर रही हैं। हमारे राजा-महाराजा लगे हुए हैं इन चीजों में, और जोर-शोर से लगें, भगवान से प्रार्थना है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि क्योंकि एक नन्हीं सी कली जब फूल बनती है तो खुशबू चारों तरफ बिखेर देती है, पर वो कली अभी खिली ही नहीं, उससे पहले ही अगर वो बीमारी से गिर जाती है, कीड़ा लग जाता है फूलों में हमने देखा, तो वो फूल नहीं बन पाती, कली के रूप में ही मुरझा जाती है। तो आप सब लोग मिलकर, हम सब लोग मिलकर, जो कली माँ के गर्भ में है, जो कली माँ के गर्भ से बाहर आ चुकी है, लेकिन मुरझाने को है, हम लोग उसे अपनी मेहनत का पानी दें, अपनी मेहनत का खान-पान दें, दुआओं का खान-पान दें ताकि वो बच्चा कुपोषण का शिकार ना हो और हमारा आने वाला भविष्य स्वस्थ हो, जब भविष्य स्वस्थ होगा तो जरूर सबको खुशियां मिलेंगी, सबको बहारें जरूर आ जाएंगे।
तो यही आप लोगों से प्रार्थना करते हुए हम फिर से परम पिता परमात्मा, हमारे गुरु शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता रहबर से ये दुआ करते हैं कि हे प्रभु! अपने उन नन्हें-नन्हें फूलों की संभाल कर। हे मालिक! आप अपने इन्सानों को, अपने बन्दों को शक्ति दे कि वो एक-दूसरे की मदद करें बजाय निंदा-चुगली के, बजाय किसी का बुरा गाने के, क्यों न भला किया जाए, ताकि पूरे समाज के अंदर बहारें आ जाएं, पूरे समाज के अंदर खुशियां आ जाएं। तो सबको बहुत-बहुत आशीर्वाद, आशीर्वाद।
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