नई दिल्ली (राकेश छोकर)। मीडिया के लिए देश-दुनिया का सबसे बड़ा कथित प्रकरण एक माह से भी अधिक समय से नारद लोगों के बीच अबूझ पहेली बनकर रह गया है। वह सच और झूठ के हिन्डोलों में झूल रहे हैं। झूठ के साए में पोषण पाकर, अब वह सच से सामना करने में अक्षम हैं। तथाकथित राजदार सच का पलड़ा भारी पड़ता देख, उनके सीने में दर्द जग उठा। डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को देश की मीडिया एक माह से भी अधिक समय से वैश्विक स्तर पर उठाए हुए है। लेकिन हर साजिश, हर षड्यंत्र किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा और भरभरा कर जमीं पर आ गिरा। गत दिनों एक निजी चैनल के पत्रकार डेरा सच्चा सौदा के तथाकथित राजदार विश्वास गुप्ता के साथ डिबेट कर ही रहे थे कि बार-बार सवालों के चक्रव्यूह में तथाकथित राजदारों में पहले तो आरोपों को लेकर ही विरोधाभास पाकर पत्रकार महोदय सकते में आ गए।
फिर सवालों के बीच इतने झल्लाए कि आपा ही खो बैठे। फिर सच से पर्दा उठने ही वाला था कि कथित राजदार के सीने में दर्द जग गया। डिबेट के मुखिया पत्रकार भी हैरान हुए ही थे कि राजदार के पिता ने मोर्चा संभालकर फिर विरोधाभास की बातें की। इस बीच कथित अभिनेत्री राखी सावंत के झूठों की बारी थी। वह धरती पाताल की सब जानकारी रखती है। सब सामना करती है, लेकिन सच का नहीं। मीडिया ने एक माह से जिस तरह से भ्रमित खबरों का जखीरा व दृश्यों को आम लोगों के सामने परोसा,आज वह झूठ का पुलिंदा या गट्टर बंधा दिख रहा है।
मीडिया ने आम लोगों का विश्वास डगमग कर दिया है। वह बहन हनीप्रीत इन्सां को कईयों बार मरते और जीते हुए, फिल्म की शूटिंग करते हुए दिल्ली, बरेली, गुरुग्राम, काठमांडु, सीमा पार दिखा चुका है। आखिर यह क्या दर्शकों को दिखाना चाह रहे है? क्या है उनका स्पष्ट नजरिया? इतने लंबे समय से इस मीडिया के पास क्या देश-दुनिया की कोई समस्या, प्रसारण लायक आई ही नहीं?