आओ हम सब मिलकर पृथ्वी को बचाएं

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पौधा एक दोस्त की भांति होता है, इसकी पूरी संभाल करनी चाहिए। पौधे प्रदूषण व बीमारियों से राहत प्रदान करते हैं, जिससे समस्त सृष्टि का भला होता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं और उनकी संभाल भी अपने बच्चों की तरह करें।”
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

Environment-Day

पर्यावरण दिवस पर विशेष: हवा में कार्बन की अत्याधिक मात्रा से पर्यावरण की सेहत को पहुंच रहा नुक्सान

संदीप सिंहमार \सच कहूँ हिसार। पर्यावरण, प्रकृति और मानव का आपस में अटूट संबंध है। इनको कभी भी एक दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता। इसके बारे में हर किसी को पता होने के बावजूद भी वैश्विक तौर पर वर्तमान में पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति चिंतनीय होती जा रही है। पर्यावरण को बचाने के लिए जितना मंथन किया जाए आज उतना ही कम है। हालांकि छोटे स्तर से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक पर्यावरण को बचाने के लिए हर वर्ष मंथन करते हैं। सभी अपने-अपने स्तर पर प्रयास भी करते हैं,लेकिन इसके बावजूद भी पर्यावरण की स्थिति इस कदर बिगड़ती जा रही है कि आज धरती पर पौधे से लेकर हर प्राणी पर पर्यावरण का असर पड़ता जा रहा है।

पौधे और प्राणी मात्र के बीच कड़ी का बना रहना जरूरी है। आज यही कड़ी टूटती जा रही है,जिसका नतीजा पूरा विश्व भुगत रहा है। वैश्विक महामारी के इस दौर में कोरोनावायरस के प्रभाव से जब इंसान की सांसो की डोर टूटने लगी तब पर्यावरण का महत्व सबको समझ आने लगा। समझ पहले भी थी लेकिन तब गौर नहीं किया जा रहा था।

अत्याधिक खादों के प्रयोग से बिगड़ रही मिट्टी की गुणवत्ता

लगातार आबादी बढ़ने के कारण पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए खेतों में अत्याधिक खाद का इस्तेमाल करने व जरूरत से ज्यादा चारा काटने के कारण पूरे विश्व में मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष 1.2 करोड़ हेक्टेयर जमीन खराब हो रही है। सबसे बड़ी चुनौती इंसानों की बढ़ती आबादी व लुप्त होती प्राणी मात्र की प्रजातियां है। इंसानी आबादी इस कदर बढ़ रही है कि बीसवीं शताब्दी की शुरूआत में जहां 1.6 अरब आबादी थी। वहीं एक अनुमान के अनुसार 2050 तक यही इंसानी आबादी 10 अरब हो जाएगी।

वैश्विक पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौतियाँ :- अब चिंतन करने की बात यह है कि वैश्विक पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौती आखिर कौन-कौन कौन सी है ? इन्हीं पर विचार करते हुए गहन मंथन करने की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन,वनों की अंधाधुंध कटाई,मिट्टी का क्षरण,लगातार लुप्त होती प्रजातियां व जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण के सामने यही सबसे बड़ी चुनौतियाँ बनकर आज मुँह बाए खड़ी है। जब विज्ञान ने मानव की उम्मीदों से भी कहीं दूर जाकर उन्नति कर ली है,तब वायु प्रदूषण भी लगातार बढ़ा है।

इसका सीधा सा असर जलवायु परिवर्तन पर देखने को मिल रहा है। यदि हवा और समुद्री जल की बात करें तो यह कार्बन से भर चुके हैं। वातावरण में घुली कार्बन डाइआॅक्साइड पराबैंगनी किरणों को सोखती और छोड़ती है इससे हवा, जमीन और पानी गर्म होते हैं। यह प्रक्रिया प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी तो है,क्योंकि इसके बिना धरती बर्फीली हो जाएगी। लेकिन हवा में कार्बन की अत्यधिक मात्रा से पर्यावरण की सेहत को नुक्सान पहुंच रहा है।

पौधे लगाएं व संभाल भी करें

अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के विवाद तो सबकी नजर में होंगे ही। प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच बनाना जरूरी है लेकिन इसके लिए पर्यावरण का नुक्सान किसी भी सूरत में नहीं करना चाहिए। जितना हो सके हर व्यक्ति को पौधे लगाने चाहिए,वृक्षों की कटाई नहीं करनी चाहिए।

हर वर्ष काटे जा रहे हैं 74 लाख हेक्टेयर जंगल

जंगलों में विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं को आसरा मिलता है। वहीं जंगल पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए भी जरूरी होते हैं। लेकिन आज वैश्विक तौर पर यह स्थिति बनी हुई है कि हर वर्ष 74 लाख हेक्टेयर जंगल काटे जा रहे हैं। इसी वजह से विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं को आश्रय नहीं मिल पाता। धरती पर पौधे और प्राणी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनकी कड़ी जब टूटती है तो फिर पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। वर्तमान समय में मानव अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए विभिन्न जंगली जानवरों का शिकार करता है। जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है।

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