जब चुनाव नजदीक हों तो राजनैतिक पार्टियां मुद्दों को तलाशने लगती है। जम्मू-कश्मीर की पीडीपी प्रमुख महबूबा ने मरहूम आतंकवादी अफजल गुरु की मृतक देह के अवशेष मांगे हैं। इसी तरह पीडीपी का एक नेता अफजल को अपना भाई बता रहा है। महबूबा सहित अन्य नेता जब सत्ता में थे तब उन्हें अफजल कभी याद नहीं आया। यूं भी अफजल के 18 वर्षीय युवा बेटे गालिब गुरु ने देश प्रति अपनी जो भावनाएं प्रकट की हैं, जो मौकाप्रस्त राजनेताओं का मुंह बंद करने वाली है। गालिब ने कहा है कि उसे अपने भारतीय होने पर गर्व है, उसका यह भी कहना है कि उसकी माँ ने उसे आतंकवादी बनने से बचा लिया, क्योंकि कई लोग उसे अपने पिता की फांसी का बदला लेने के लिए उकसा रहे थे। वह विदेशों में जाकर मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करना चाहता है।
इस युवा के विचारों को यदि राजनैतिक पार्टियां व अलगाववादी नेता समझ लें तो कश्मीर में बह रही खून की नदी रुक सकती है। आतंकवादी संगठनों व उनके समर्थकों का सारा जोर युवाओं को गुमराह करने में लगा हुआ है जिन युवाओं के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी, उन्हें हथियार देने की कोशिश की जा रही है। कहा जाता है कि हर बुरे काम का अंत होता है और आतंकवाद भी लंबा समय चलने वाला नहीं। आतंकवाद कश्मीरियों के दिलों से पैदा नहीं होता बल्कि उन पर थोपा जा रहा है। सरकारी सुविधाओं व सुरक्षा का लुत्फ लेने वाले अलगाववादी नेता व राजनेता, आम घरों के युवाओं को भटकाने की कोशिश करते आ रहे हैं।
शहीद सैनिकों के शवों पर चुप रहने वाले स्वार्थी नेताओं ने पत्थरबाजों का समर्थन किया है लेकिन माहौल बदल रहा है। पाक को नस्ीहत मिल गई है। भारतीय कार्यवाही व अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाक आतंकवादियों के खिलाफ शिकंजा कसने लगा है। इस सख्ती का प्रभाव जम्मू-कश्मीर में भी होना है। कश्मीरी युवाओं को यह बात समझ आ रही है कि पाकिस्तान के लिए लंबे समय तक आतंकवाद को पनाह और मदद देना संभव नहीं है। ऐसे हालातों में कश्मीरी युवाओं को झांसे में लेना कठिन होगा। पहले ही देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा प्राप्त कर रहे कश्मीरी युवा इस बात का प्रमाण हैं कि आम कश्मीरी राज्य की खुशहाली व अमन चाहते हैं। बेहतर हो राजनेता और अलगाववादी स्वार्थी विचारधारा को त्याग कर युवा पीढ़ी को पत्थरबाज बनाने की कोशिश बंद करें।
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