बड़े घरानों की बसों पर तुरंत लगाई जाए रोक

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पीआरटीसी कर्मचारियों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ किए जुबानी हमले

भटिंडा (अशोक वर्मा)। पीआरटीसी से संबंधित संगठनों की संयुक्त एकशन कमेटी के आह्वान पर विभिन्न कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने बड़े घरानों की बसों पर रोक नहीं लगाने को लेकर के खिलाफ जोरदार जुबानी हमले किए हैं और इस बस सेवा को सड़कों से हटाने की मांग की है।

कर्मचारी नेताओं का प्रतिक्रम था कि मौजूदा सत्ताधारी नेताओं ने सरकार बनते ही निजी ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म करने के बड़े-बड़े वायदे किए थे, जिसे लेकर कई बड़े घारानों में चिंता का माहौल था, किन्तु तीन माह बाद भी इन बसों का सड़कों पर शासन होना साबित करता है कि सरकार व उक्त बस मालिकों में आपसी सहमति हो गई है।

खास ट्रांसपोटरों को लाभ पहुंचाने का सिलसिला जारी

पीआरटीसी रिटायर्ड भाईचारा यूनियन के अध्यक्ष हरनेक सिंह नैणेवाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने बादल सरकार द्वारा की गई ट्रांसपोर्ट के एकाधिकार को प्रफूलित करने की सोध को रद्द कर दिया था, किन्तु हैरानी की बात है कि निजी ट्रांसपोटरों की अफसरशाही में पकड़ इस कदर मजबूत है कि पंजाब सरकार अदालत का फैसला लागू करने की बजाए आने-बहाने कुछ खास ट्रांसपोटरों को लाभ पहुंचाने का सिलसिला जारी है।

उन्होंने मांग की कि पीआरटीसी विरोधी नीतियां अपनाने व धनाढ़ घरानों के साथ कथित मिलीभगत करके अदारे को नुक्सान पहुंचाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। एससीबी यूनियन के नेता गुरजंट सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार को अदालत ने मिनी बसों के कई रूट बंद करने के आदेश दिए थे, किन्तु वह वैसे ही चल रहे हैं।

उन्होंने इन रूटों पर पीआरटीसी की बसें चलाने की मांग की। इस दौरान भ्रष्टाचार और पदोन्नति के मसले भी उठाए गए। कर्मचारी दल के नेता बलदेव सिंह कुटी ने शेष रहते बकाए की जल्दी अदायगी, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, 1992 की पेंशन स्कीम लागू करने, नई बसें डालने पर जोर दिया।

इसके अतिरिक्त इंटर नेता गंडा सिंह ने कहा कि जत्थेबंदी वित्त मंत्री व महारानी परनीत कौर को पेंशन लागू करने संबंधी मांग पत्र दे चुकी है, किन्तु अभी तक मांग पूरी नहीं हुई। एटक नेता मोहकम सिंह ने चेतावनी दी कि यदि संयुक्त एकशन कमेटी की मांगें स्वीकार न की गई तो तीव्र संघर्ष किया जाएगा।

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