धर्मगढ़/चीमा मंडी(सच कहूँ/जीवन गोयल)। कहते हैं जिस धरती पर प्यारे सतगुरू जी के पावन कर -कमल पड़ जाएं उसके भाग ही खुल जाते हैं। डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज (Param Pita Shah Satnam Ji Maharaj) ने पंजाब के हजारों गांवों-शहरों में अपने पवित्र चरण-कमल टिकाए और रूहानी सत्संग फरमाकर लाखों रूहों का उद्धार किया। सन् 1971 से गांवों में सत्संग फरमाकर हजारों परिवारों को पवित्र नाम शब्द की अनमोल दात देकर चौरासी के चक्कर को खत्म किया। ब्लॉक धर्मगढ़ अधीन आते 8 गांवों में पूजनीय परम पिता जी ने सत्संग फरमाए और नाम की अनमोल दात प्रदान की।
अब अगर बात धर्मगढ़ की करें तो उस समय मौजूद सत्संगियों के अनुसार यहां पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने दो सत्संग फरमाए और आसपास के ब्लॉकों में सत्संगों के समय गांव में दो बार अपने पवित्र चरण-कमल टिकाकर भी जीवों के भाग जगाए। पहला सत्संग 1971 में हुआ, जिसमें पूजनीय परम पिता जी का उतारा सरपंच हरनेक सिंह के घर हुआ। उस समय का मनमोहक नजारा बयान करते सरपंच हरनेक सिंह के बेटे राजिन्द्र सिंह इन्सां जिला 25 मैंबर ने बताया कि उस समय घर की दीवारें कच्ची होती थी, अब पूज्य गुरू जी की अपार रहमत से हम गाड़ियों और महलों वाले बन गए हैं। उस समय पूजनीय परम पिता जी ने धर्मगढ़ से धर्मपुरी होने के भी पवित्र वचन फरमाए जोकि बिल्कुल सच साबित हो रहे हैं। गांव में जिस जगह सत्संग हुआ था वहां अब पूरा बाजार बन गया है।
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डेढ़ एकड़ में बना सुंदर नामचर्चा घर दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। प्रेमी दर्शन सिंह दर्जी ने पुरानी यादें ताजा करते कहा कि जब पूजनीय परम पिता जी के सत्संगों के बाद अक्सर ही चरणा सिंह खाटक, स्वर्ण सिंह और सेठ मदन लाल जिनके घर बेटे नहीं थे, को लेकर वह डेरा सच्चा सौदा जाते रहे। पूजनीय परम पिता जी ने चरणा सिंह को दो आम के रूप में दो पुत्रों की दात बख्शी और ऐसे ही स्वर्ण सिंह और मदन लाल की झोलियां भी भरी। दर्शन सिंह ने बताया कि जब मैं उक्त बारे ईलाही मौज से मांग करता रहा तो उस समय के मौजूद सेवादारों ने पूजनीय परम पिता जी की पावन हजूरी में मुझसे पूछा कि तेरा क्या परिवार है तो मैं वैराग्य में आ गया और मैंने कहा कि 6 लड़कियां हैं।
तो आप जी ने फरमाया, ‘‘फिर मांग ले।’’ तो मैंने वैराग्य में कहा कि मैं क्यों मांगूं आप जी सब जानते हो। तब पूजनीय परम पिता जी ने आशीर्वाद देकर पुत्र की दात बख्शी। पूजनीय परम पिता जी ने उस लड़के का नाम गुरप्रीत रखा जो आज सेना में देश सेवा कर रहा है। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया-मेहर से गांव से ब्लॉक बना धर्मगढ़ मानवता भलाई के 142 कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। गांव में मैडीकल रिसर्च के लिए अब तक कई शरीरदान और नेत्रदान हो चुके हैं। गांव में बड़ी संख्या में साध-संगत है, जो कि आज पूजनीय परम पिता जी की दया मेहर रहमत से सुखमयी जिंदगी व्यत्तीत कर रही है।
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