नई दिल्ली। देश में कोयले की भारी किल्लत चल रही है। इसकी कमी के चलते देश को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बिजली उत्पादन वाले केन्द्रों पर कोयले की मात्रा बहुत की कम बची बताई जा रही है। गौरतलब है कि कोयले की वजह से बिजली संकट केवल भारत ही नहीं बल्कि चीन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। भारत की ही बात करें तो यहां 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयले से किया जाता है। एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेता कहते हैं कि देश में कोयला कम नहीं बल्कि कोयले का खनन कम होने की वजह से ये मुश्किल आई है। वहीं बारिश भी कोयला खनन में बड़ी विलेन बनी हुई है। इसके अलावा खनन की तकनीक का पुराना होना भी बड़ी समस्या बना हुआ है।
तनेता कहते हैं कि देश की खदानों से निकलने वाला कोयला उच्च स्तर का नहीं होता है, जिसकी वजह से हमें कुछ कोयला बाहर से आयात भी करना होता है। उनके मुताबिक कोयले के प्रबंधन से इस समस्या से बचा जा सकता है। उनके मुताबिक देश के कुछ बिजली उत्पादित केन्द्र ऐसे हैं, जहां पर 3-5 दिन का ही स्टाक बचा है। बता दें कि देश के करीब 135 थर्मल प्लांट्स में से करीब 100 ऐसे बताए जा रहे हैं, जहां पर कोयले का स्टाक अब काफी कम है। देश के 13 प्लांट्स में करीब दो सप्ताह का स्टाक बचा हुआ है। ऐसे में कोयले की कमी से देश में बिजली संकट पैदा हो सकता है।
कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अनुसार भारत में दिसंबर 2020 में 103.66 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। हालांकि, मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक इस वर्ष जुलाई में कोयले का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 19.33 फीसद तक बढ़ा है। पिछले वर्ष जहां 45.55 मैट्रिक टन उत्पादन था, वहीं जुलाई 2021 में ये बढ़कर 54.36 मैट्रिक टन पहुंच गया है। देश के ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक बिजली की कुल खपत में 2019 से 2021 में करीब 2000 करोड़ यूनिट प्रतिमाह तक इजाफा दर्ज किया गया है।
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