दो जवान बेटों की मां कुशल घणघस ने यूपी में करारी पटकनी देकर झटका गोल्ड
- नेशनल ग्रैपलिंग रैसलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मैडल
- मौका मिले त बेटियों की तरह बहुएं भी मेहनत कर नाम कमा सकती है : कुशल
भिवानी (इन्द्रवेश)। भिवानी में अब बेटियों के साथ बहुएं भी खेल के मैदान में छाने गई है। ताजा उदाहरण जिला के गांव जताई की कुशल घणघस है। दो नौजवान बेटों की मां कुशल 45 साल की उम्र में नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल हासिल कर समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं। अभी तक बेटे और बेटियों की बदौलत देश व प्रदेश का गौरव बढ़ाने की बदौलत भिवानी को खेल नगरी कहा जाता था, पर अब भिवानी की बेटियों के साथ-साथ यहां की बहुएं भी छाने लगी हैं। इसमें नया नाम जूड़ा है जताई की कुशल घनघस का। कुशल ने एक उम्र के पड़ाव पर ग्रैपलिंग रेसलिंग खेल में ऐसा कौशल हासिल किया कि वो नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड विजेता बन गई।
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बता दें कि जींद जिला निवासी कुशल की वर्ष 1998 में शादी हुई थी। वो आज 22 वर्षीय रवि व 16 वर्षीय लक्ष्य नामक दो जवान बेटों की मां है। कुशल ने 8वीं से अपनी पढ़ाई ससुराल आकर ही की और उसके बाद औद्योगिक सुरक्षा बल पुलिस में भर्ती हुई, जिसे एक साल बाद खत्म कर दिया गया। फिलहाल कुशल गुरुग्राम के पालम विहार थाना में एसपीओ (स्पेशल पुलिस आॅफिसर) के पद पर तैनात है। इस नौकरी पर रहते कुशल पिछले 3-4 साल से ग्रैपलिंग रैसलिंग की खिलाड़ी बनी है। हाल ही में यूपी के गोंडा में आयोजित सेकिंड नेशनल ग्रैपलिंग रैसलिंग चैंपियनशिप में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते हुए एमपी की खिलाड़ी को पटकनी देकर गोल्ड मेडल हांसील किया।
अपनी लाड़ली व होनहार बहू के ससुराल पहुंचने पर हुआ भव्य स्वागत
कुशल घणघस के गोल्ड मैडल लेकर अपनी ससुराल जताई गांव में पहुंचे पर भव्य स्वागत हुआ। उन्हें नोटों की मालाएं पहनाई गई। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। अपने इस सम्मान पर कुशल ने कहा कि वो अपने पति के सहयोग से ये गोल्ड मैडल हासिल कर पाई। उनके पति ने उनकी पढ़ाई व नौकरी से लेकर खेल तक में बिना किसी प्रतिबंध के सहयोग किया। उन्होंने कहा कि मौका मिले तो टारगेट बनाकर हर महिला बेटियों की तरह कामयाब हो सकती हैं।
कुशल के पति जगबीर घणघस ने अपनी पत्नी की उपलब्धि पर गर्व जताया और कहा कि इस उम्र में उनकी मेहनत देख उनका साथ दिया। वहीं कुशल की नंनद ने कहा कि वो अपनी भाभी पर गर्व करती हैं और उन्हें घर आने पर घी व चूरमा खिलाएंगी। यही नहीं, कुशल की मां मनाकौर तो कह रही हैं कि हमें भला दामाद मिला, जिसकी बदौलत उनकी बेटी आज बेटों से भी बढ़ कर है।
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