कुरुक्षेत्र चुनावी रण में बन सकते हैं नवीन समीकरण
- -नवीन जिंदल द्वारा चुनाव न लड़ने की चर्चाएं गर्म
सच कहूँ, देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से मुकाबला रोमांचक हो सकता है। बेशक भाजपा ने यहां से हरियाणा सरकार के मंत्री नायब सैनी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है लेकिन अन्य पार्टियां उम्मीदवार घोषित करने के मामले में अब तक भी मौन धारण किए हुए हैं। कांग्रेस की यदि बात करें तो इनके पास कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से नवीन जिंदल सबसे दिग्गज चेहरा है। नवीन जिंदल दो बार कुरुक्षेत्र से सांसद चुने जा चुके हैं, लेकिन ऐसा क्या कारण है कि नवीन जिंदल इस बार चुनाव लडने के मूड में नजर नही आ रहे।
बेशक उन्होने लोकसभा में कई जनसभाएं भी की हैं, लेकिन वे अपनी जनसभाओं में भी यह कह चुके हैं कि युवा उद्यमी के लिए राजनीति करना इतना आसान नही है। राहुल गांधी के कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के दौरे के बाद नवीन जिंदल भी दोबारा यहां नही पहुंचे। सूत्रों की मानें तो नवीन जिंदल इस बार कुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव लडने के मूड में ही नही दिख रहे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं आखिर क्यों नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव लडना नही चाहते?
वैश्य समाज से उम्मीदवार उतारेगी कांग्रेस?
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से दो बार नवीन जिंदल सांसद रह चुके हैं वहीं एक बार नवीन के पिता ओमप्रकाश जिंदल सांसद रह चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस द्वारा किसी वैश्य समाज के चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने की संभावना है। अब देखना होगा कि कांग्रेस नवीन जिंदल को चुनाव लडने के लिए राजी कर सकेगी या फिर कोई अन्य चेहरा इस सीट से उतारा जाएगा। जाट समुदाय के सबसे ज्यादा मतदाता होने के चलते जाट समुदाय के किसी उम्मीदवार को भी चुनावी रण में उतारा जा सकता है।
कांग्रेस खेल सकती है संदीप गर्ग पर दांव
यदि किसी कारण से कांग्रेस नवीन जिंदल को चुनाव लडने के लिए राजी न कर सकी तो पिछले काफी समय से लाडवा विधानसभा में सक्रिय हुए कांग्रेस के संदीप गर्ग पर भी दांव खेला जा सकता है। ऐसे में संदीप गर्ग भी सक्रिय नजर आने लगे हैं। वैसे तो संदीप गर्ग कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं वहीं इस युवा नेता ने कांग्रेस की बस परिवर्तन बस रैली के दौरान 29 मार्च को लाडवा की अनाज मंडी में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में अहम रोल अदा किया था।
इससे पूर्व भी गर्ग ने 25 नवंबर को लाडवा अनाज मंडी कांग्रेस परिवर्तन रैली का आयोजन कर जनता के सैलाब को एकत्रित किया था। इसके अलावा भी लाडवा के बाबैन में जब प्रशासन ने दुकानदारों की दुकानें गिराने का नोटिस जारी किया तो संदीप ने 11 दिन की आंशिक भूख हड़ताल की और प्रशासन को अपना निर्णय बदलना पड़ा था। ऐसे में लोकसभा चुनाव में अगर जिंदल मना करते हैं तो सभी नेताओं की सहमति संदीप गर्ग पर बन सकती है।
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