कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र। चुनाव आने लगा नजदीक, नहीं उठ पा रहा चुनाव प्रचार
सच कहूँ, देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। ...ये सीजन का असर है या फिर मतदाताओं की खामोशी। इस बार कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र से किसी भी राजनैतिक प्रत्याशी का चुनाव प्रचार उठ नही पा रहा है। हालांकि नामांकन पत्र वापिस लेने की तिथि के उपरांत चुनाव लड़ने के इच्छुक सभी प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार शुरु कर दिया था। लेकिन प्रचार अभियान में वह गति नहीं देखी जा रही है जिसे देखकर कहा जा सके कि लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं।
दूसरी ओर आम मतदाता भी चुनाव के प्रति ज्यादा उत्सुक दिखाई नहीं दे रहे हैं। एक ओर जहां किसान वर्ग अपनी फसल को समेटने में लगा हुआ है वहीं मजदूर वर्ग दो जून की रोटी के जुगाड़ में लगा हुआ है इसी के चलते मजदूर वर्ग चुनाव प्रचार से परहेज कर रहा है। भले ही राजनैतिक दलों के मैदान मे उतरे योद्धा अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव प्रचार मे दिन रात जुटे हुए हैं, लेकिन आम मतदाता प्रचार अभियान जुट नहीं पा रहा है। नतीजन प्रत्याशियों को खूब पसीना बहाना पड़ रहा है।
अब तक नायब सैनी 9 विधानसभा क्षेत्रों को कर चुके कवर
कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र से विभिन्न पार्टियों के दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने प्रदेश सरकार में राजयमंत्री नायब सैनी को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि नायब सैनी का टिकट नामांकन से कई दिन पहले ही फाईनल हो गया था और उन्होने अपना प्रचार अभियान भी शुरु कर दिया था। उनके चुनाव प्रचार में राज्यमंत्री कृष्ण बेदी, लाडवा के विधायक डॉ. पवन सैनी, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, जिलाध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर, जिप चेयरमैन गुरदयाल सुनहेडी के अलावा स्थानीय भाजपा नेता खूब मेहनत कर रहे हैं। नायब सैनी के नामांकन के समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी जनसभा को संबोधित किया था। देखा जाए तो अब तक नायब सैनी सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों को कवर चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके चुनाव प्रचार चर्म सीमा पर नहीं पहुंच पाया है।
कांग्रेस प्रत्याशी अभी नहीं खोल पाए सभी स्थानों पर चुनावी कार्यालय
कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह चुनावी मैदान में हैं। निर्मल सिंह ने नामांकन पत्र पूर्व सांसद नवीन जिंदल, कांग्रेस के राष्टÑीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, पूर्व सांसद कैलाशो सैनी, मेवा सिंह के अलावा स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में भरा था। निर्मल सिंह के पास चुनाव प्रचार का समय कम होने के चलते वे अब तक सभी स्थानों पर कार्यालयों का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं। वहीं दूसरी ओर निर्मल सिंह के सामने कांग्रेस की गुटबाजी आड़े आ रही है। ऐसे में उनके सामने गुटों में बिखरी कांग्रेस को एकजुट करने के अलावा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना भी बडी जिम्मेवारी है। लगता है कि निर्मल सिंह इन सभी चुनौतियों से आसानी से निपट कर चुनाव प्रचार को आगे बढाएंगें, लेकिन अभी तक जो चुनाव प्रचार होना चाहिए था उस प्रकार का प्रचार नही कर पा रहे हैं।
इनेलो के सामने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना सबसे बड़ी चुनौती
इनेलो ने अर्जुन चौटाला को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि अर्जुन चौटाला की नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन जनसभा में हजारों लोग पहुंचे थे, लेकिन माहौल बनाने की एक्पर्ट मानी जाने वाली इनेलो भी अपने चुनाव-प्रचार को चर्म पर पहुंचाने में विफल रहे हैं। अर्जुन लोगों के बीच देशी अंदाज में पहुंच रहे हैं। इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोडा अर्जुन के चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। इनेलो के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की है। पार्टी में विघटन के बाद से इनेलो के सामने कई चुनौतियां है, यही कारण है कि इनेलो के चुनाव प्रचार में भी गति नही आई है।
जजपा के पास बडे नेताओं की कमी
जननायक जनता पार्टी ने भाजपा छोड़कर जजपा में आए जयभगवान शर्मा डीडी को प्रत्याशी बनाया है। जजपा के पास बडेÞ नेताओं की कमी है। डीडी के नामांकन पत्र दाखिल करवाने के समय स्वंय दुष्यंत चौटाला पहुंचे थे, लेकिन इसके बाद से डीडी शर्मा अकेले ही चुनावी मैदान में प्रचार करने में जुटे हैं। डीडी शर्मा भी अन्य प्रत्याशियों की तरह चुनावी प्रचार में पीछे दिख रहे हैं। इसके अलावा बसपा व लासुपा की ओर से शशि सैनी व कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन इनका चुनाव प्रचार न के बराबर है। 12 मई को मतदान होना है लेकिन जिस गति से चुनाव प्रचार चल रहा है उसे देखकर लगता है कि चुनावी शोरगुल कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है।
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