गुंजन वन में कुकड़ू मुर्गा रोज सुबह बांग देता था। उसकी बांग सुनकर गुंजन वन के सभी पशु-पक्षी तड़के ही जाग जाते थे। बांग सुनकर किट्टू गिलहरी अपने बगीचे में उछल-कूद करने लगती थी। चिम्पी बंदर आम के पेड़ पर झूला झूलने लगता था।हिननू खरगोश भोजन की तलाश में निकल जाता था। वन के राजा शेर सिंह प्रजा के कार्यों में व्यस्त हो जाते थे। इस तरह रोजाना कुकडू की बांग सुनकर गुंजन वन के वासियों की दिनचर्या शुरू होती थी। कुकडू भी यह बात जानता था कि उसकी बांग से ही गुंजन वन में चहल-पहल शुरू होती है।
एक दिन कुकडू के मन में विचार आया कि वह गुंजन वन के लिए इतना कुछ करता है। किंतु उसको कोई महत्व नहीं देता है। अगर वह सुबह बांग न दे, तो गुंजन वन के वासियों की दिनचर्या ही शुरू न हो। और जब सबकी दिनचर्या बाधित होगी तो सभी उसे महत्व देने लगेंगे। अगले दिन कुकडू ने सुबह बांग नहीं दी। बांग की आवाज न आने के कारण चिम्पी बंदर देर तक सोता रहा। हिननू खरगोश भी देर से जागा।
महाराज शेर सिंह को कुकडू की बांग न सुनने के कारण चिन्ता हुई और उन्होंने कुकडू की खबर लेने के लिए अपने मंत्री गोलू सियार को कुकडू के घर भेजा। कुकडू जानता था कि महाराज उसे देखने के लिए किसी को जरूर भेजेंगे। इसलिए वह दूसरे जंगल चला गया। महाराज को जब पता चला है कि कुकड़ू घर पर नहीं है और वह कहीं चला गया है, तो उन्होंने सब पशु-पक्षियों को बुलाया और कहा कि सुबह कोई बांग देने का काम करें।
महाराज की बात सुनकर किट्टू गिलहरी बोली कि महाराज, मैं बांग नहीं दे सकती। चिम्पी बंदर भी बोला मुझे भी बांग देना नहीं आता। इस तरह सभी पशु पक्षियों ने बांग देने में अपनी असमर्थता बता दी। तब गुनगुन चिड़िया बोली कि महाराज, बांग तो मैं भी नहीं दे सकती। लेकिन मैं चहचहा सकती हूं। अगर आप कहें तो मैं सुबह चहक-चहक कर गीत सुनाकर सब को जगा दिया करूंगी। गुनगुन का यह प्रस्ताव सब को अच्छा लगा और उस दिन से गुनगुन रोज सुबह अपनी मधुर चहचहाट से सबको जगाने लगी।
कुछ दिन बाद कुकडू वापस आया तो उसे पता चला कि गुनगुन चिड़िया अपने मधुर कलरव से सबको जगाने का काम कर रही है। कुकडू को यह भी मालूम हुआ कि उसकी गैर मौजूदगी से गुंजन वन में किसी की दिनचर्या में कोई फर्क नही पड़ा। उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने महाराज से कहा कि वह फिर से बांग देने का कार्य करना चाहता है। महाराज ने सब पशु-पक्षियों को बुलाया और कहा कि कुकडू फिर से बांग देना चाहता है। आप लोगों की क्या राय है। महाराज की बात सुनकर गोलू मंत्री बोला, महाराज, गुंजन वन में सभी वासी अपने से सम्बंधित कार्य करते हैं। जैसे गज्जू हाथी फसलों की रखवाली करते हैं तो डमरू गधा सामान ढोने का काम करते हैं।
कुकडू भी बांग देने का काम करते थे। यदि कुकडू फिर से अपना काम करना चाहते हैं तो यह अच्छी बात है। गोलू मंत्री की बात से गुंजन वासी भी सहमत हो गए। तब महाराज ने गुनगुन चिड़िया की ओर देखते हुए कहा कि हमने गुनगुन को भी तो सुबह उठकर चहचहाने का काम दे रखा है। कोई बात नहीं महाराज, कुकडू बांग दिया करेंगे और मैं चहचहाया करूंगी। गुनगुन ने चहकते हुए कहा। इस तरह गुंजन वन गुनगुन की चहचहाहट के साथ-साथ कुकडू की बांग से पुन: गुंजायमान होने लगा।
-हरप्रसाद रोशन।
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