नेत्रदान और शरीरदान कर मिसाल बनी कैथल की कृष्णा पुजानी इन्सां

Eye And Body Donation sachkahoon

सच कहूँ/ वर्मा, कैथल। ले के कहां कुछ वापिस जाना ये शरीर भी दान है…ये कोई जुमला नहीं बल्कि हकीकत है। मानवता भलाई के सिरमौर सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु की। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंन्सा की पावन प्रेरणा पर चलते हुए डेरा अनुयायी जीते जी तो मानवता भलाई के लिए आगे रहते ही हैं, लेकिन मरने के बाद इंसानियत के लिए ऐसी मिसाल दे जाते हैं कि हर कोई उन्हें सलाम् करता है। ऐसा ही कर कर दिखाया है कैथल निवासी 45 मैंबर खरैती लाल इन्सां की धर्मपत्नी कृष्णा पुजानी इन्सां ने। कृष्णा पुजानी के मरणोपरांत परिजनों ने उनके नेत्रदान के साथ-साथ पार्थिव देह भी मेडिकल रिसर्च हेतु मुज्जफरनगर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल बहादुरपुर (यूपी) को दान कर इन्सानियत की मिसाल कायम की।

45 मैंबर खरैती लाल इन्सां ने बताया कि उनकी धर्मपत्नी कृष्णा पुजानी इन्सां ने सोमवार प्रात: करीब पौने 11 बजे अंतिम श्वास ली और वो सचखंड में जा विराजी। खरैती लाल इन्सां ने बताया कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए उनकी धर्मपत्नी कृष्णा ने जीते जी ही मरणोपरांत अपनी देह दान करने का संकल्प पत्र भरा था। उनकी आखिरी इच्छा भी यही थी कि जब भी मैं इस संसार से विदाई लूँ तो मेरे पार्थिव शरीर को दान कर दिया जाए। क्योंकि पूज्य गुरु जी ने भी वचन फरमाए हैं कि मरने के बाद भी डेरा प्रेमी दूसरों को जीवन दान दे सकते हैं। क्योंकि इस माटी की देह को अग्नि में जलाकर राख करने से तो अच्छा है कि मरणोपरांत भी किसी का भला करके जाओ। स्मरण रहे कि करीब 69 वर्षीय कृष्णा पुजानी अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गई। जिनमें उनकी पुत्रियां, 2 पुत्र व पुत्रवधुंए शामिल हैं।

दो अंधेरी जिंदगियों को मिलेगी रोशनी

उनके पुत्र अमित पुजानी और सुमित पुजानी ने बताया कि उनके माता ने श्वास छोड़ने से पहले ही पूज्य गुरू जी की प्रेरणा पर चलते हुए नेत्र दान करने का संकल्प पत्र भरा था। इसी के चलते उनके नेत्रदान किए गए हैं, जो दो अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने में सहायक सिद्ध होंगे।

बेटियों और पुत्रवधुओं ने दिया अर्थी को कांधा

सचखंड वासी कृष्णा पुजानी की पार्थिव देह को उनकी पुत्रियों व पुत्र वधुओं श्वेता इन्सां, पिंकी इन्सां, रजनी इन्सां, कशिश इन्सां, सपना इन्सां, संगीता इन्सां, मीनू इन्सां, सुनीता इन्सां, अनीता इन्सां व अन्नु इन्सां ने कांधा दिया। इसके पश्चात नेत्रदानी कृष्णा पुजानी को रिश्तेदारों, परिजनों और साध-संगत ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, कृष्णा पुजानी तेरा नाम रहेगा’, ‘सच्चे सौदे की सोच पे, पहरा देंगे ठोक के’ आदि नारों से आसमां गूंजायमान कर दिया। तत्पश्चात पार्थिव देह को फूलों से सजी एंबुलेंस में मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना किया गया।

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