विपदा: कोरोना ने छीना घर का चिराग, टूटा मुसीबतों का पहाड़
कोटा (सच कहूँ/राजेंद्र हाड़ा )। राजस्थान के कोटा शहर की शिवसागर कॉलोनी निवासी ममता की गृहस्थी की गाड़ी अच्छी भली चल रही थी। अचानक समय ने करवट ली और कोरोना महामारी ने दो महिने पूर्व उसके पति मनोज प्रजापति को परिवार से छिन लिया। मनोज अपने पीछे पत्नी ममता सहित चार बेटियां, एक बेटा तथा विधवा-वृद्ध माता शांति बाई को छोड़कर चल बसा। यहीं से ममता के परिवार पर मुसीबतों का अम्बार लग गया। अब घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा। बड़ी बेटी 11 साल तथा सबसे छोटा बेटा 4 साल का है।
चिप्स पाकर खुश हुए बच्चे:
राहत सामग्री सौंपने के दौरान जब चिप्स के पैकेट ममता बहन के छोटे-छोटे बच्चों को सेवादारों ने सौंपे तो मौके पर ही बच्चों ने पैकेट खोले और मां की तरफ देखकर खाने लगे तो मां अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पाई। इस अवसर पर इंसानियत की सेवा में कोटा ब्लॉक के 25 मेम्बर जोरावर सिंह इन्सां, कृष्ण मुरारी इन्सां, 15 मेम्बर जिम्मेवार राजेन्द्र सिंह हाड़ा, अशोक इन्सां, इन्द्रजीत सिंह इन्सां, कालूराम इन्सां, परमानन्द इन्सां, रामखेलावन इन्सां, राजेष इन्सां, अनूप इन्सां बने भागीदार।
साध-संगत ने पौंछे आंसू
ममता पर आये संकट की सूचना जैसे ही रविवार को सेवादारों को मिली तुरन्त ममता के घर पहुंचे और परिजनों के आंसू पौंछे तथा हरसंभव सहयोग करते रहने का भरोसा दिलाया। मौके पर ही ममता एवं उसकी सासू मां को आटा, सभी तरह की दालें, तेल, साबुन, चाय-चीनी और अन्य आवश्यक रसोई के सामानों का एमएसजी किट सहित मूलभूत जरूरतों के लिए नकद सहयोग सौंपकर ढांढस बंधाया। उनको भरोसा दिलाया कि अब आप अकेले नहीं साध-संगत आपके साथ है।
माता शांति बाई एवं ममता की जुबानी
साध-संगत ने जब बताया कि डेरा सच्चा सौदा, सरसा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से मानवता भलाई के यह कार्य किये जाते हैं। इस पर उन्होंने अपने आंसू पौंछते हुए कहा कि धन्य हैं वे सतगुरू जिनकी वजह से सेवादारों ने हमारे बिलखते हुए बच्चों के आंसू पौंछे हैं।