कोटा के किसान श्रीकृष्ण ने ईजाद की नई किस्म
(New Variety of Mango)
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स्वाद और पौषक तत्वों से है भरपूर
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। राजस्थान में कोटा के किसान श्रीकृष्ण सुमन ने आम की एक ऐसी नई किस्म विकसित कर ली, जिसमें नियमित तौर पर पूरे साल सदाबहार नाम का आम पैदा होता है। आम की यह किस्म आम के फल में होने वाली ज्यादातर प्रमुख बीमारियों से मुक्त भी है। इसका फल स्वाद में ज्यादा मीठा, लंगड़ा आम जैसा होता है और नाटा पेड़ होने के चलते किचन गार्डन में लगाने के लिए उपयुक्त है।
- इसका पेड़ काफी घना होता है और इसे कुछ साल तक गमले में भी लगाया जा सकता है।
- इसके अलावा इसका गूदा गहरे नारंगी रंग का और स्वाद में मीठा होता है।
- इसके गूदे में बहुत कम फाइबर होता है, जो इसे अन्य किस्मों से अलग करता है।
- पोषक तत्वों से भरपूर आम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
परम्परागत खेती को अलविदा कह पकड़ी अलग राह
आम की इस नई किस्म का विकास करने वाले किसान श्रीकृष्ण ने कक्षा दो तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था और अपना पारिवारिक पेशा माली का काम शुरू कर दिया था। उनकी दिलचस्पी फूलों और फलों के बागान का प्रबंधन करने में थी, जबकि उनका परिवार सिर्फ गेहूं और धान की खेती करता था। उन्होंने यह जान लिया था कि गेहूं और धान की अच्छी फसल लेने के लिए कुछ बाहरी तत्वों जैसे बारिश, पशुओं के हमले से रोकथाम और इसी तरह की चीजों पर निर्भर रहना होगा और इससे सीमित लाभ ही मिलेगा।
- उन्होंने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए फूलों की खेती शुरू की।
- सबसे पहले उन्होंने विभिन्न किस्म के गुलाबों की खेती की और उन्हें बाजार में बेचा।
- इसके साथ ही उन्होंने आम के पेड़ लगाने भी शुरू किए।
15 साल में मिली कामयाबी
वर्ष 2000 में उन्होंने अपने बागान में आम के एक ऐसे पेड़ को देखा, जिसके बढ़ने की गति बहुत तेज थी, जिसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की थी। उन्होंने देखा कि इस पेड़ में पूरे साल बौर आते हैं।
- यह देखने के बाद उन्होंने आम के पेड़ की पांच कलमें तैयार की।
- इस किस्म को विकसित करने में उन्हें करीब 15 साल का समय लगा ।
- इस बीच उन्होंने कलम से बने इस पौधों का संरक्षण और विकास किया।
- कलम लगाने के बाद पेड़ में दूसरे ही साल से फल लगने शुरू हो गए।
नई किस्म को एनआईएफ से मिली मान्यता
इस नई किस्म को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) इंडिया ने भी मान्यता दी। एनआईएफ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान है। (New Variety of Mango) एनआईएफ ने आईसीएआर-इंडियन इंस्ट्रीट्यूट आॅफ हार्टिकल्चरल रिसर्च (आईआईएचआर), बेंगलूर को भी इस किस्म का स्थल पर जाकर मूल्यांकन करने की सुविधा दी।
इसके अलावा राजस्थान के जयपुर के जोबनर स्थित एसकेएन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इसकी फील्ड टेस्टिंग भी की। अब इस किस्म का पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम तथा आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो आॅफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनवीपीजीआर) नई दिल्ली के तहत पंजीकरण कराने की प्रक्रिया चल रही है।
राष्ट्रपति भवन में लगाया पौधा
एनआईएफ ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डेन में इस सदाबहार आम की किस्म का पौधा लगाने में भी सहायता की है। इस सदाबहार किस्म के आम का विकास करने के लिए श्रीकृष्ण सुमन को एनआईएफ का नौवां राष्ट्रीय तृणमूल नवप्रवर्तन एवं विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार (नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन एंड ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड) दिया गया है और इसे कई अन्य मंचों पर भी मान्यता दी गई है।
8000 से ज्यादा पौधों के मिले आॅर्डर
श्रीकृष्ण सुमन को 2017 से 2020 तक देशभर से और अन्य देशों से भी सदाबहार आम के पौधों के 8,000 हजार से ज्यादा आॅर्डर मिल चुके हैं।
- वह 2018 से 2020 तक आंध्रप्रदेश, गोवा, बिहार, छत्तीसगढ़,
- गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल,
- कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब,
- राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,
- पश्चिम बंगाल, दिल्ली और चंडीगढ़ को 6,000 से ज्यादा पौधों की आपूर्ति कर चुके हैं।
पांच सौ से ज्यादा पौधे राजस्थान और मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों में वह खुद लगा चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों को भी 4,00 से ज्यादा पौधे भेजे जा चुके हैं।
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