MSG Incarnation Day: आप जी का अपने पूर्ण मुर्शिद पर अटूट विश्वास बन गया। आप जी अपने मुर्शिद खुद-खुदा सतगुरु के नूरी जलाल को कण-कण में प्रत्यक्ष देखते। अपने प्यारे प्रीतम मुर्शिद के नूरी जलाल में मिलकर आप जी खुद भी नूरे-जलाल बन गए। आप जी हर वक्त अपने सतगुरु जी को धन्य-धन्य कहते रहते और मस्ती में घुंघरू बांधकर नाचते रहते। पूजनीय सावण शाह जी महाराज ने आप जी का नाम खेमामल से बदलकर शाह मस्ताना रख दिया, पूजनीय सावण शाह जी महाराज आप जी को देखकर मुस्कराते रहते। आप जी हर वक्त सतगुरु का शुक्राना करते। ‘हे! मेरे सोहणे मक्खण मलाई पीर दाता सावण शाह, तूं ही मेरा पीर, तूं ही मेरा बाप, तूं ही मां, तूं ही मेरा यार, तूं ही मेरा खुदा, तूं ही मेरी दौलत, तूं ही मेरा निरंकार, तूं ही मेरा सब कुछ। धन-धन सावण शाह सार्इं तेरा ही आसरा’ इसलिए वहां प्रचलित नारा कुछ और था।
उस वक्त प्रबंधकों ने आप जी की शिकायत पूजनीय सावण शाह जी महाराज के पास की कि मस्ताना शाह तो रिवायती नारा नहीं बोलते। अपने बनाए ही नारे बोलते हैं। जब पूजनीय मस्ताना जी महाराज से पूजनीय सावण शाह जी महाराज ने इस बारे में पूछा कि आप इस तरह हमारी महिमा क्यों करते हो तो आप जी ने फरमाया, ‘हे मेरे सार्इं हमने तो सिर्फ आप जी को देखा है और किसी के बारे में जानते ही नहीं, जो देखा है वहीं बोलते हैं। अगर कोई आदमी किसी का दबा खजाना निकाल दे तो वह किसका धन्य-धन्य करेगा, खजाना निकालने वाले का या किसी और का। फिर पूजनीय बाबा जी की हजूरी में धन-धन दाता सावण शाह निरंकार तेरा ही आसरा का नारा लगाया।
इस पर हजूर सच्चे पातशाह बाबा सावण शाह जी ने वचन फरमाया कि इससे तो काल और चिढ़ेगा, परंतु हैं आप सच्चे, आज के बाद आपने सांझा शब्द सतगुरु बोलना है, भाव ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’। आप जी ने अपने सतगुरु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। पूजनीय बाबा सावण शाह जी ने आप जी पर नूरानी दृष्टि डालकर वचन फरमाया, मस्ताना शाह, बहुत ऊंचा कलाम है तेरा। कोई नाम पीछे, कोई भजन पीछे, कोई रोशनी पीछे पड़ गया परंतु हमें किसी ने नहीं पकड़ा, कोई नसीबों वाला हो, तो पड़े, मस्ताना शाह आप नसीबों वाले हो, जिसने सतगुरु की महिमा जानी है।