टॉन्सिलाइटिस उर्फ टॉन्सिल क्या है?
Tonsil diseases and their treatment: टॉन्सिलाइटिस टॉन्सिल (Tonsils) का संक्रमण है, जो हमारे गले के पीछे दो ऊत्तक द्रव्यमान होते हैं। आपके टॉन्सिल्स फिल्टर केरूप में काम करते हैं, जो कीटाणुओं को बाहर रखते हैं जो आपके वायुमार्ग में अपना रास्ता खुद बना सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। संक्रमण से लड़ने में मदद करने के लिए उनके द्वारा एंटीबॉडी के काबिल उत्पादन किया जाता है, हालांकि बैक्टीरिया या वायरस कभी-कभी उन पर हावी हो सकते हैं, इसके परिणाम स्वरूप वे सूजन हो सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टॉन्सिलाइटिस आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है जो कभी भी हो सकता है या बहुत कम समय में वापस ठीक भी हो सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो टॉन्सिल गले का एक अहम हिस्सा होता है । यह गले के दोनों तरफ होता है टॉन्सिल का प्रमुख कार्य ब्राह्य संक्रमण से शरीर की रक्षा करना है।आसान शब्दों में कहें तो टॉन्सिल जीवाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। इसमें किसी भी प्रकार के इंफेक्शन होने से टॉन्सिल बढ़ने लगता है इससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में दिक्कत होती है। टॉन्सिल संक्रमण के अधिक शिकार बच्चे होते हैं।
टॉन्सिलाईटिस होने के कारण क्या है? Tonsillitis
दरअसल हमारे मुंह के अंदर गले के पीछे ऊत्तक के दो अंडाकार आकार के पैड होते हैं जिन्हें टॉन्सिल्स कहा जाता है। टॉन्सिल्स में आई सूजन को ही टॉन्सिलिटिस कहा जाता है। टॉन्सिलाइटिस होने की वजह से पीड़ित को गले में खराश, निगलने में कठिनाई गर्दन के किनारों पर कोमल लिम्फ नोड्स और काफी बार बोलने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
वैसे तो टॉन्सिलाइटिस के अधिकांश मामले एक सामान्य वायरस के संक्रमण के कारण होते हैं लेकिन बैक्टीरिया के संक्रमण से भी टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। आमतौर पर टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होता है जोकि स्ट्रेप थ्रोट(एक जीवाणु संक्रमण जिसके कारण गले में सूजन और दर्द होता है) का कारण बनता है। स्ट्रैप थ्रोट के कारण होने वाले टॉन्सिलाइटिस का यदि उपचार न कराया जाए, तो गंभीर जटिलताएं पैदा हो शक्ति हैं। चूंकि, टॉन्सिलाइटिस के लिए उपयुक्त उपचार कारण पर निर्भर करता है। टॉन्सिल को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है, जो कि तब की जाती है जब यह समस्या आपको बार-बार होने लग जाए और व्यक्ति को इसकी वजह से जटिलताओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़े, तो आप इसके लिए सर्जरी करा सकते हैं।
टॉन्सिल कितने प्रकार के होते हैं? Tonsillitis
जो लोग टॉन्सिलाइटिस से जूझते हैं उन्हें इसकी गंभीरता के बारे में काफी हदतक मालूम होता है। कि आप इसकी गंभीरता के बारे में इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं जिसके 6 प्रकार होते हैं जिनका नीचे वर्णन किया गया है।
एक्यूट टॉन्सिलाइटिस: टॉन्सिलाइटिस के इस रूप में एक जीवाणु या वायरस टॉन्सिल को संक्रमित करता है, जिसके कारण गले में सूजन और खराश होती है। इस प्रकार के टॉन्सिल एक ग्रे या सफेद रंग की कोटिंग विकसित कर सकता है यह अचानक से होता है और यह लंबे समय तक बना नहीं रहता।
क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस: अगर किसी व्यक्ति को बार-बार टॉन्सिल्स हो रहा है तो उसे क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस की श्रेणी में रखा जाता है। कभी कभी एक्यूट टॉन्सिलाइटिस बार बार होने के परिणामस्वरूप क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस में बदल जाता है। Tonsillitis
पेरिटॉन्सिलर एब्सेस: टॉन्सिलाइटिस के इस प्रकार में संक्रमित हुए टॉन्सिल के आसपास मवाद जमा हो जाता है जो इसे विपरीत दिशा की ओर धकेलता है। पेरिटॉन्सिलर फोड़ो को तत्काल सुखा देना चाहिए। टॉन्सिलाइटिस का यह प्रकार काफी गंभीर माना जाता है। peritonsillar abscess
एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस का प्रकार आमतौर पर एपस्टीन बार वायरस की चपेट में आने के कारण होता है। ‘मोनो’ के कारण टॉन्सिल्स में गंभीर सूजन, बुखार, गले में खरांश, लाल चकत्ते और थकान हो सकती है।
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स्ट्रैप थ्रेट: स्ट्रेप थ्रोट प्रकार का टॉन्सिलाइटिस एक बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसमें न केवल टॉन्सिल्स बल्कि काफी गंभीर तौर पर संक्रमित हो जाता है। गले की खरांश के साथ अक्सर बुखार और गर्दन में दर्द भी हो जाता है। Strap Threat
टॉन्सिल स्टोन्स: टॉन्सिल स्टोन्स या टॉन्सिलोइथ्स प्रकार का टॉन्सिलाइटिस व्यक्ति को तब होता है जब कोई अपशिष्ट गले में फंसा हो और वह सख्त हो जाए तो उस से दिक्कत हो सकती है। tonsil stones
टॉन्सिल होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of having tonsils?
टॉन्सिलाइटिस की समस्या वैसे तो कभी भी हो सकती है लेकिन यह समस्या मुख्य रूप से किशोरावस्था और मध्य किशोर अवस्था दौरान ज्यादा होती हैं जब किसी व्यक्ति को टॉन्सिलाइटिस होते हैं तो उस दौरान यह लक्षण दिखाई देते हैं।
- सूजे हुए टॉन्सिल
- टॉन्सिल का लाल होना
- टोंसिल पर सफेद या पीले रंग का चथ्क्रप्ते आना
- गले में खरांश होना
- खाना पीना निगलने में कठिनाई या दर्द होना
- गंभीर स्थिति होने पर बोलने में कठिनाई होना
- बार बार बुखार होने की वजह से भी टॉन्सिल की समस्या हो जाती है।
- एक कर्कश, दबी हुई या गले की आवाज
- बदबूदार सांस बनना
- पेट दर्द होना
- गर्दन में दर्द होना
- गर्दन में अकड़न
- सिर दर्द की समस्या (यह समस्या सामान्य से गंभीर तक हो सकती है)।
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टॉन्सिलाइटिस होने के क्या कारण हैं? What are the causes of tonsillitis?
टॉन्सिल बीमारी के खिलाफ आपकी रक्षा की पहली पंक्ति वह सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करते हैं जो आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। टॉन्सिल बैक्टीरिया और वायरस से लड़ते हैं, जो आपके मुंह और नाक के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी व्यक्ति को टॉन्सिलाइटिस की समस्या वायरस से लड़कर शरीर को सुरक्षा देते हुए होती हैं। एक वायरस, जैसे कि सामान्य सर्दी, टॉन्सिलाइटिस को ट्रिगर कर सकता है। जीवाणु संक्रमण से स्ट्रेप गलला भी संभावित है।
कैसे की जाती है टॉन्सिल की जांच? How are tonsils examined?
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चों को टॉन्सिलाइटिस की समस्या हो गई है तो ऐसे में डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों की पहचान करेंगे और इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि और कैसे की जा सकती है टॉन्सिल की जांच। स्कार्लेटिना के रूप में जाने जाने वाले दानों की जांच करना, जो स्ट्रैप गले के कुछ मामलों से जुड़ा होता है। सूजी हुई ग्रंथियों की जांच के लिए अपने बच्चों की गर्दन को धीरे से महसूस करना।
- स्टेथोस्कोप से उसकी सांसों को सुनना
- प्लीहा के बढ़ने की जांच करना
- टॉन्सिलाइटिस के घरेलू उपचार
- आराम को बढ़ावा दें।
- अपने बच्चे को भरपूर नींद लेने के लिए प्रोत्साहित करेें। वे अपनी नींद अच्छे से पूरी करें।
- तरल पदार्थ प्रदान करें
- अपने बच्चे के गले को नम रखने के लिए निर्जलीकरण को रोकने के लिए उसे भरपूर पानी पिलाएं।
- खारे पानी से गरारे करवाएं।
यदि आपका बच्चा गरारे कर सकता है, तो दो चम्मच टेबल साल्ट गर्म पानी में मिलाकर खारे पानी से गरारे करने से गले की खराश को आराम मिल सकता है। अपने बच्चे को गले से गरारे करने के लिए कहें और उसे थूक दें।
हवा को नम करें: शुष्क हवा को खत्म करने के लिए एक ठंडी हवा के मइडइफआयर का उपयोग करें जिसमे गले में खरांश को राहत मिल सकती है या अपने बच्चों को भाग से भरे बाथरूम में कुछ समय तक बैठने के लिए कहे।
लोजेंग दें: 4 साल से अधिक उम्र के बच्चे गले की खराश से राहत पाने के लिए लोजेंज चूस सकते हैं।
जलन से बचाव करें | avoid irritation
अपने घर को सिगरेट के धूंप जनित सफाई उत्पादों से मुक्त रखें जो गले में जलन पैदा कर सकते हैं। इन सब चीजों से दूरी बना कर ही रहे। टॉन्सिलाइटिस होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं अगर आप यह आपका बच्चा या आपके घर में कोई बुजुर्ग व्यक्ति टॉन्सिलाइटिस बीमारी से जूझ रहा है तो ऐसे में आपको सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान गले में आई सूजन के कारण कुछ भी निगल पाना काफी मुश्किल है , इसलिए ऐसा खाना ही खाना चाहिए जिसको आसानी से निगला जा सके और उससे शरीर को भी ताकत मिले।
टॉन्सिलाइटिस होने पर आपको ये चीजें खानी चाहिए | You should eat these things when you have tonsillitis
- हल्का गर्म चावल
- दलिया
- सूजी से बना हुआ उपमा
- अदरक
- शहद
- उबला हुआ पालक
- उबले हुए आलू
- इडली
- दूध
- गुनगुना पानी