हैदराबाद (एजेंसी)। प्लैनेटरी सोसाइटी आॅफ इंडिया (पीएसआई) ने मंगलवार को कहा कि पृथ्वी बुधवार की रात सूर्य के सबसे निकटतम बिंदु पर पहुंचेगी। पीएसआई के निदेशक एन रघुनंदन कुमार ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पृथ्वी बुधवार रात नौ बजकर 44 मिनट पर अपनी वार्षिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में सूर्य के निकटतम बिंदु पर 0.98329एयू यानी सूर्य से 14,70,98,928 किलोमीटर दूर पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाती है, जिसके कारण एक वर्ष में एक समय पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है और एक समय सबसे दूर होती है। खगोलीय रूप से इस घटना को ‘उपसौर’ कहा जाता है, जबकि सात जुलाई, 2023 को सुबह 01:16 बजे पृथ्वी सूर्य से 1.016एयू (15,20,93,253 किमी) पर होगी यानी सूर्य से सबसे दूर बिंदु पर, जिसे ‘अपसौर’ कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में, चार जनवरी को उपसौर के कारण, पृथ्वी अपनी कक्षा में सात जुलाई, 2023 की तुलना में सूर्य से 49,94,325 किमी नजदीक होगी। कुमार ने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी के कारण पृथ्वी पर मौसम या तापमान में बदलाव होता है लेकिन यह सच नहीं है। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए पृथ्वी का अक्षीय झुकाव (लगभग 23.5 डिग्री) पृथ्वी पर मौसम और तापमान निर्धारित करता है, जिसमें से एक गोलार्ध सूर्य की ओर और दूसरा उसके विपरित होता है।
जुलाई में जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है
उन्होंने कहा कि वर्ष की शुरूआत में जनवरी महीने में उत्तरी गोलार्ध के अधिकांश देशों में ठंड होती है जबकि पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है। जबकि दक्षिणी गोलार्ध के देशों में गर्मी होती है। साथ ही, जुलाई में जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है तो जनवरी की तुलना में भारत और पड़ोस देशों में बहुत गर्मी पड़ती है। इसलिए यह स्पष्ट होता है कि सूर्य से पृथ्वी की दूरी से मौसम निर्धारित नहीं होता है बल्कि सूर्य के चारों ओर अपनी वार्षिक चक्कर के दौरान इसके झुकाव से मौसम तय होता है। पीएसआई निदेशक ने कहा कि पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365.25 दिन लगते हैं। पृथ्वी की तुलना में, बृहस्पति ग्रह को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 11.862 वर्ष लगते हैं।
कुमार ने कहा कि पृथ्वी की तरह ही बृहस्पति का भी सूर्य की परिक्रमा के दौरान उपसौर और अपसौर होता है। इस प्रकार से, 20 जनवरी, 2023 को, बृहस्पति सूर्य के निकटतम बिंदु पर होगा जबकि बृहस्पति 28 दिसंबर, 2028 को सूर्य से सबसे दूरस्थ बिंदु पर होगा। पिछली बार बृहस्पति 17 मार्च, 2011 को सूर्य के निकटतम बिंदु पर था। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य के चारों ओर बृहस्पति की कक्षा भी अण्डाकार है लेकिन यह गोलाकार के बहुत करीब है। इसलिए जब बृहस्पति ग्रह उपसौर या अपसौर अवस्था में होता है तो दूरी में लगभग 10.2 प्रतिशत का अंतर होता है। बृहस्पति 20 जनवरी को हालांकि, सूर्य के सबसे निकट होगा लेकिन वह पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर नहीं होगा क्योंकि बृहस्पति पृथ्वी के सबसे निकट 27 सितंबर, 2022 को आया था।
सूर्य के चारों ओर चक्कर
बृहस्पति प्रत्येक 13 महीने में एक बार पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचना है जो कि खगोलीय घटना के कारण होता है जिसे ‘बृहस्पति विपक्ष’ कहते हैं। पीएसआई निदेशक ने कहा कि जनवरी में होने वाले इस दो उपसौर की खगोलीय घटनाओं में आम लोग किसी भी महत्वपूर्ण घटना को नोटिस या निरीक्षण नहीं कर पाएंगे क्योंकि इसके लिए उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता की आवश्यकता होती है। लोग महत्वपूर्ण रूप से यह समझ सकते हैं कि पृथ्वी पर तापमान या मौसम सूर्य से उसकी दूरी पर निर्भर नहीं करता है बल्कि सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के दौरान उसके अक्षीय झुकाव पर निर्भर करता है।
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