सिर्फ 14 लाख गर्भवती महिलाओं को ही मिल पाया कोरोना का पहला टीका
-
सरकार ने 2 जुलाई को गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन की अनुमति दी थी
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। केंद्र सरकार की ओर से गभर्वती महिलाओं के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण किए जाने की सिफारिश से 20 सितम्बर तक करीब 14 लाख गर्भवती महिलाओं को ही टीके की पहली खुराक दी जा सकी है। सरकारी वरिष्ठ अधिकारियों ने यूनीवार्ता को यह जानकारी दी है। सरकार ने 2 जुलाई को गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन की अनुमति दी थी। सरकारी आंकड़ों की बात करें, तो कोरोना के खिलाफ हर महीने पांच लाख गभर्वती महिलाओं को टीके दिए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, देश की बड़ी आबादी को देखते हुए सरकार का लक्ष्य है कि सालाना 2.6 से 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कराया जाए, इस हिसाब से टीकाकरण की यह दर काफी कम है। आईसीएमआर में सलाहकार और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग ने कहा, ”आप एक वर्ष में 2़ 6 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने की उम्मीद करेंगे लेकिन अब की स्थिति को देखते हुए सभी को टीका दिया जाना संभव नहीं होगा।
इसमें गति लाने की जरूरत
प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग ने कहा, ”सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन इसमें गति लाई जाना भी जरूरी है, तभी अधिक से अधिक महिलाओं का वैक्सीनेशन संभव हो सकेगा। इस दिशा में शुरूआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं में कोरोना टीकाकरण किसी की अपनी पसंद नहीं होती है और यह एक पारिवारिक निर्णय बन जाता है क्योंकि इसमें कईं लोग शामिल होते हैं और इसी वजह से इस समूह में प्रगति काफी कम देखी जा रही है। सरकार को इस मसले पर और अधिक गंभीर होेकर काम करने की आवश्यकता है तथा कोविड वैक्सीन के फायदों का व्यापक प्रचार करना चाहिए ताकि गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। कोविड-19 नेशनल टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप आॅन इम्युनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने भी इस पर सहमति जताई कि वैक्सीनेशन की गति धीमी है, लेकिन साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ेगी। उन्होंने कहा, उनका (गर्भवती महिलाओं) टीकाकरण धीरे-धीरे बढ़ेगा। हम औसत मासिक टीकाकरण के आधार पर वृद्धि को संक्षेप में नहीं बता सकते हैं। इस तरह के बड़े पैमाने पर पहल लॉग स्केल के आधार पर चलाई जाती हैं।
देश में हर साल करीब 3 करोड़ महिलाएं गर्भवती होती हैं
डॉक्टरों को टीकों पर भरोसा होना चाहिए और बिना किसी झिझक के ऐसी महिलाओं को सलाह देनी चाहिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल करीब 3 करोड़ महिलाएं गर्भवती होती हैं, जिनमें से 2.6 करोड़ महिलाएं ही बच्चे को जन्म दे पाती हैं, जबकि 30-40 लाख महिलाओं का अलग-अलग कारणों से गर्भपात हो जाता है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि गर्भवती महिलाओं को भी कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए सरकार द्वारा अधिक जोखिम वाले समूहों में रखा जाना चाहिए। डा़ गर्ग ने कहा कि भारत सरकार के प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अनुसार, गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य के नजरिए से एक कमजोर समूह बनाती हैं क्योंकि उनमें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उभरने का खतरा होता है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि उन्हें भी कोरोना संक्रमण होेने का उच्च जोखिम है। उन्होंने सुझाव दिया कि गर्भधारण करने वाली माहिलाओं को आधिकारिक तौर पर एक उच्च जोखिम वाले समूह के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और उनके लिए टीकाकरण प्राथमिकता पर किया जाना चाहिए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।