गेहूं पर ‘पीला रत्तुआ’ की दस्तक, किसान के माथे पर चिंता की लकीरें

'yellow-rust'-on-wheat

ओढां (सच कहूँ/राजू)। रबी की फसल गेहूं में इस समय रोग की दस्तक है। परेशान किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। कृषि विभाग ने खेतों में पहुंचकर रोगग्रस्त फसल का निरीक्षण करते हुए किसानों को उपचार बारे जानकारी दी। हालांकि ये रोग गेहूं की फसल के कुछ किस्मों में ही देखा जा रहा है। विभाग के मुताबिक इस रोग के कारण पौधे का विकास रुक जाता है और उत्पादन पर तकरीबन 50 प्रतिशत तक विपरीत असर पड़ सकता है।
गांव नुहियांवाली के किसान आनंद गेदर, बाबू राम व सतपाल सुथार ने बताया कि इन दिनों में गेहूं की फसल में सिंचाई करते समय उन्हें कुछ पौधों की पत्तियां पीली नजर आई और पौधे को छूने पर हाथ पर हल्दी जैसा पाउडर लगा। किसानों की इस समस्या की सूचना के बाद कृषि कार्यालय ओढां के सहायक तकनीक अधिकारी रमेश सहु ने खेतों में जाकर फसलों का निरीक्षण कर किसानों को उपचार बारे जानकारी दी।

उन्होंने किसानों को बताया कि उक्त लक्षण ‘पीला रत्तुआ’ नामक रोग के हैं। ये रोग ज्यादातर नमी के मौसम में होता है तथा एचडी-2967, एचडी-2851 तथा डब्ल्यूएच-711 नामक गेहूं की अधिकतर 3 ही किस्मों में देखने को मिलता है। उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि इस रोग को हल्के मेंं न लेते हुए समय रहते नियंत्रण करें अन्यथा उत्पादन पर करीब 50 प्रतिशत तक विपरीत असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि ये रोग मुख्य रूप से एक कवक (पक्सीनिया स्ट्राइफार्मिस) द्वारा होता है। जिससे गेहूं के पौधे का विकास रुक जाता और बालियां छोटी बनती है। ये रोग हवा के साथ फैलता रहता है। ओढां खंड में इस बार 31 हजार 700 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई हुई है।

ये करें उपचार: अधिकारी ने किसानों से कहा कि किसान सर्वप्रथम उपरोक्त किस्मों की बिजाई से गुरेज करें। इसके लिए गेहूं की रोग प्रतिरोधी किस्में डब्ल्यूएच-283, डब्ल्यूएच-542, डब्ल्यूएच-896, डब्ल्यूएच-157 तथा राज-3765 की बिजाई करें। पीला रत्तुआ से ग्रस्त फसल में किसान बिना पूरी जानकारी के अंधाधुंध छिड़काव से बचें। रसायनिक उपचार के लिए किसान 200 एमएल प्रोपीकोनाजोल या 120 ग्राम नेटिवो या 200 एमएल कस्टोडिया या 200 एमएल ओपेरा दवा का 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करेंं। दूसरा छिड़काव 10 दिन के बाद करें।

गेहूं में पीला रत्तुआ की शिकायतें मिल रही हैं। ये रोग कुछ किस्मों में ही देखने को मिलता है। किसानों को उपचार बारे बताया गया है। बिना जानकारी के किसान अंधाधुंध छिड़काव न करें। किसान फसल का निरीक्षण करते रहें और रोगग्रस्त पौधे दिखाई दें तो विभाग से सम्पर्क करने के बाद ही छिड़काव करें।
रमेश सहु, सहायक तकनीक अधिकारी (कृषि विभाग ओढां)।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।