आज हिन्दी सिनेमा जगत में शायद ही कोई ऐसा युवा गायक हो जो किशोर कुमार से प्रभावित ना हो। किशोर कुमार, एक ऐसी शख्सियत थे, जिसमें बहुमुखी प्रतिभा होने के साथ वह सब था जिसकी वजह से लोग उन्हें महान मानते थे। एक गायक और अभिनेता होने के साथ किशोर कुमार ने लेखक, निर्देशक, निर्माता और संवाद लेखक तक की भूमिका निभाई। सिर्फ हिन्दी ही नहीं बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़ जैसी कई फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। एक बेहतरीन गायक होने के साथ किशोर कुमार को उनकी कॉमेडियन अदाकारी के लिए आज भी याद किया जाता है।
किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था। उनका बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था। 4 अगस्त, 1929 को जन्मे आभास कुमार ने फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान किशोर कुमार के नाम से बनाई। फिल्म बॉम्बे टॉकीज से किशोर कुमार ने अपने गायन कॅरियर की शुरूआत की। इस फिल्म में उन्होंने पार्श्व गायक की भूमिका निभाई। 1946 में आई फिल्म शिकारी उनकी पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें उन्होंने अभिनेता की भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1948 में फिल्म जिद्दी में उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया था। फिल्म में किशोर कुमार के काम की बहुत प्रशंसा हुई और उनको कई अन्य कार्य भी मिले। संगीत निर्देशक आर.डी. बर्मन ने किशोर कुमार के कॅरियर को बनाने में बहुत मदद की थी। आरडी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नो दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाइड, ज्वेल थीफ, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया।
एक अनुमान के अनुसार किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने कॅरियर के दौरान करीब 574 से अधिक फिल्मों में गाने गाए। वह अक्सर कहा करते थे कि दूध जलेबी खायेंगे खंडवा में बस जाएंगे। लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई। किशोर की जिंदगी में कई ऐसे अहम मोड़ और वाकए हैं जिन्हें एक ब्लॉग में समेट पाना नामुमकिन है फिर भी यह कोशिश आवाज के मस्तमौला किशोर को एक श्रद्धांजलि है।
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