किम का अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पर आरोप- वे परमाणु प्रक्रिया को पटरी से उतार रहे
किम की चेतावनी- अमेरिका संदेह करता रहा तो रिश्ते पुरानी स्थिति में आ जाएंगे
सियोल। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति के बीच गुरुवार को व्लादिवोस्तोक में पहली मुलाकात हुई। इसके बाद ही दोनों के बीच प्रगाढ़ता सामने आने लगी है। मुलाकात के बाद किम ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दूसरी मुलाकात में भरोसा नहीं दिखाया। अगर उनका रवैया नहीं बदला तो अमेरिका से रिश्ते बिगड़ भी सकते हैं। कोरियाई प्रायद्वीप में शांति अमेरिका पर निर्भर करती है।
किम ने पुतिन को उत्तर कोरिया आने का न्योता दिया जिसे उन्होंने मान भी लिया
किम और ट्रम्प पिछले साल 12 जून को पहली बार सिंगापुर में मिले थे। इस साल 28 फरवरी को हनोई (वियतनाम) में दोनों नेताओं की दूसरी बार मुलाकात हुई। अमेरिका लगातार यही कह रहा है कि उत्तर कोरिया से संबंध तभी बेहतर होंगे जब वह अपना परमाणु कार्यक्रम खत्म कर देगा। हालांकि, सिंगापुर वार्ता के बाद उत्तर कोरिया ने कोई भी बड़ा परीक्षण नहीं किया।
दोबारा तनावपूर्ण हो सकते हैं अमेरिका-उत्तर कोरिया के रिश्ते
हाल ही में किम ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को परमाणु मसले पर बातचीत से हटाने की मांग की थी। किम का आरोप था कि वे पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार रहे हैं। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) के मुताबिक- किम ने पुतिन के साथ मुलाकात को काफी दोस्ताना बताया।
परमाणु मसले पर समझौते बगैर खत्म हुई थी किम-ट्रम्प की बातचीत
किम ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका इस तरह उत्तर कोरिया पर अविश्वास करता रहा तो दोनों के रिश्ते पुरानी स्थिति (तनाव) में आ सकते हैं। दूसरी मुलाकात परमाणु मसले पर कोई समझौता होने से पहले ही खत्म हो गई थी। हनोई में किम ने प्रतिबंधों में तुरंत छूट देने की मांग भी की थी। इसके बदले उत्तर कोरिया क्या करेगा, इस पर दोनों पक्षों में एकराय नहीं बन पाई थी।
पुतिन को उत्तर कोरिया आने का न्योता
किम ने पुतिन को उत्तर कोरिया आने का न्योता दिया है। पुतिन ने इसे स्वीकार भी कर लिया है। केसीएनए का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है।
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