केरल से कश्मीर: 26 दिन, दो छात्र और सकारात्मक संदेश
श्रीनगर (एजेंसी)। केरल के इंजीनियरिंग के दो छात्र पर्यावरण (Kerala to Kashmir) और अंगदान का संदेश लेकर निकले और रास्ते में मौसम के उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए 26 दिनों के बाद साइकिल से कश्मीर पहुंचे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र, 24 वर्षीय जगदीश और 26 वर्षीय श्रीनिदी शेट्टी पर्यावरण और अंगदान के लिए जागरूकता फैलाने की सोच और लक्ष्य के साथ ‘गो ग्रीन बिफोर ग्रीन गोज’ और ‘लाइफ इज ए गिफ्ट पास इट आॅन’ के बैनर तले कर्नाटक के मंगलुरु से अपनी यात्रा की शुरूआत की और 3,500 किमी से ज्यादा यात्रा करने के बाद 26 अक्टूबर को उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग पहुंचे।दोनों एशियन पेंट्स में काम करते हैं और इनकी यात्रा को एक गैर सरकारी संगठन “सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड लर्निंग” ने प्रायोजित किया था, जो अन्य विश्वव्यापी गैर सरकारी संगठनों का एक सहयोगी संगठन है। गदीश ने ह्ययूनीवार्ताह्ण से कहा, ह्लचूंकि हम दक्षिण भारत से आते हैं इसलिए कर्नाटक से यात्रा शुरू करने और आठ अलग-अलग राज्यों से गुजरने के दौरान हमें बहुत कठिन और अनिश्चित मौसमों का सामना करना पड़ा। जब हमनें साइकिल से अपनी यात्रा की शुरूआत की तो बारिश हो रही थी और लेकिन बीच में मौसम बहुत गर्म और आर्द्र हो गया।
ठंडे मौसम का अनुभव
उन्होंने कहा, ‘कल श्रीनगर पहुंचने पर हमने पहली बार ऐसे ठंडे मौसम का अनुभव किया और पहली बार गुलमर्ग में बर्फबारी का आनंद लिया। जगदीश ने कहा, ‘कश्मीर बहुत ही खूबसूरत जगह है जहां चारों ओर हरियाली है। यह उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत है जितनी हमने कल्पना की थी। हमें कश्मीर में ‘गो ग्रीन बिफोर ग्रीन गोज’ की एक आदर्श अवधारणा प्राप्त हुई।कश्मीर में यह हमारी पहली यात्रा है और इससे पहले हम पिछले वर्ष साइकिल से मनाली, लद्दाख और खारदुंग ला दर्रा गए थे। उन्होंने कहा, ‘हम उन सभी लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हमारा समर्थन किया, हमारे शुभचिंतकों, माता-पिता और उन सभी गैर सरकारी संगठनों का शुक्रिया जिन्होंने हमें यात्रा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया। भारत इस बात का जीता जागता सबूत है कि विभिन्न जातियों, धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं के बावजूद यहां के लोग प्रेम और शांति के साथ मिलकर रहते हैं जो ‘विविधता में एकता’ का अनूठा उदाहरण है।
कश्मीर धरती का स्वर्ग
उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से सच है कि भारत सिर्फ और सिर्फ सुंदर है, पूरी यात्रा के दौरान हमें बहुत सारे अजनबियों से नैतिक और शारीरिक दोनों प्रकार का सहयोग और समर्थन प्राप्त हुआ और इस यात्रा का सबसे अच्छा पल उन लोगों से उन खूबसूरत कहानियों के बारे में सुनना था जिनसे हम सभी रूबरू होते रहते हैं। जगदीश ने कहा, ‘आठ अलग-अलग राज्यों के भोजन और संस्कृति को जानना एक शानदार अनुभव था और एक बहुत ही आर्द्र क्षेत्र से एक भयंकर ठंडे क्षेत्र के बीच, कुडला से कश्मीर तक की हमारी यात्रा यहां पर आकर एक सकारात्मक चर्चा और खुशी के साथ समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन की यादगार यात्रा रहेगी।
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