केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा- मामले पर नजर रखने के लिए 6 सदस्यीय टीम केरल भेजी
-
दूसरे का सैंपल भेजा; 86 निगरानी में
तिरुवनंतपुरम। केरल में एक बार फिर निपाह वायरस ने दस्तक दी है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने एक मरीज के मिलने की बात कही है। एर्नाकुलम का रहने वाला 23 साल का एक व्यक्ति पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया। शैलजा ने बताया कि दूसरे मरीज का सैंपल टेस्ट के लिए पुणे भेजा गया है। दो संदिग्ध मरीजों को बुखार और गले में परेशानी के कारण भर्ती कराया गया है। दो नर्स उनका इलाज कर रही हैं।
राज्य के 86 संदिग्ध मरीजों पर निगरानी रखी जा रही है। इनमें अभी निपाह वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। एर्नाकुलम मेडिकल कॉलेज में बीमारी के इलाज के लिए अलग से स्पेशल वार्ड बनाया गया है। 2018 में केरल में निपाह वायरस से करीब 16 लोगों की मौत हुई थी। 750 से ज्यादा मरीजों को निगरानी में रखा गया था।
-
हर्षवर्धन बोले- केरल की हरसंभव मदद की जा रही
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, ‘केंद्र सरकार केरल की हर संभव मदद कर रहा है। हम वन्यजीव विभाग के सीधे संपर्क में रहकर चमगादड़ों पर टेस्ट के लिए उनकी पूरी सहायता कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि अब यहां कुछ भी दुखद नहीं होगा। मैंने स्वास्थ्य सचिव और अधिकारियों के साथ बैठक की। मामले पर नजर रखने के लिए 6 सदस्यीय टीम भेजी जा चुकी है।’
-
हमारे पास जरूरत की सभी दवाइयां
स्वास्थ्य मंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों से कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य विभाग हर तरह की परिस्थिति को संभालने के लिए तैयार है। हमारे पास जरूरत की सभी दवाइयां हैं। इस बीमारी से निपटने के लिए एर्नाकुलम मेडिकल कॉलेज में अलग से वार्ड बनाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से बीमारी को लेकर दहशत नहीं फैलाने की अपील भी की। वहीं, मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि हालात पर नजर रखी जा रही है और ऐहतियातन उपाए किए जा रहे हैं।
-
ऐसे फैलता है वायरस
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वायरस चमगादड़ से फैलता है। इन्हें फ्रूट बैट कहते हैं। चमगादड़ किसी फल को खा लेते हैं और उसी फल या सब्जी को कोई इंसान या जानवर खाता है तो संक्रमित हो जाता है। निपाह वायरस इंसानों के अलावा जानवरों को भी प्रभावित करता है। इसकी शुरुआत तेज सिरदर्द और बुखार से होती है। इससे संक्रमित व्यक्ति की मृत्युदर 74.5% होती है।
-
वायरस का 21 साल पहले पता चला था
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 1998 में मलेशिया में पहली बार निपाह वायरस का पता लगाया गया था। यहां सुंगई निपाह गांव के लोग सबसे पहले इस वायरस से संक्रमित हुए। इस गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। उस दौरान ऐसे किसान इससे संक्रमित हुए थे, जो सुअर पालन करते थे। मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।