राज्य विधानसभा में कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास | Against CAA
राज्यपाल बोले-प्रस्ताव की कानूनी और संवैधानिक वैधता नहीं
नई दिल्ली (एजेंसी)। केरल ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य बन गया है। केरल ने शीर्ष न्यायालय में दी याचिका में इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है। इससे पूर्व राज्य विधानसभा में सीएए लागू नहीं करने का प्रस्ताव पास किया गया। ऐसा करने वाला भी केरल देश का एकमात्र राज्य है। केरल में पिनराई विजयन की वामपंथी गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार है। केरल सरकार ने सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करवाने के बाद अखबारों में विज्ञापन भी छपवाया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसकी आलोचना की। उनका कहना है कि भारतीय संसद में पास कानून के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने पर राज्य का संसाधन खर्च करना गलत है। राज्यपाल ने कहा कि केरल सरकार के प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है।
क्यों है विरोध
- सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
- विपक्षी दलों का कहना है कि इसमें मुसलमानों को नहीं रखा गया है, जो धार्मिक आधार पर भेदभाव का मामला है।
- यह संविधान धार्मिक आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है।
केंद्र का तर्क
- चूंकि तीनों पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिमों के साथ धार्मिक आधार पर ही उत्पीड़न होते हैं
- इसलिए उन्हें नागरिकता देने का विशेष प्रबंध किया गया है।
- इसमें विदेशी मुसलमानों को भारतीय नागरिकता नहीं देने का कहीं उल्लेख नहीं है।
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