सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि गुरुमंत्र, नाम, कलमा, मैथड आॅफ मेडीटेशन एक ही रास्ते के अलग-अलग नाम हैं। जो इंसान इस रास्ते पे चलता है, गुरुमंत्र का जाप करता है, यकीनन भयानक से भयानक कर्म उसके पल में कट जाया करते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि किसी और के लिए नहीं अपने लिए ही सुमिरन करो ताकि आने वाली बीमारियों से बचे रह सको, आने वाली परेशानियों से बचा जा सके। आत्मिक तौर पर जब इंसान मजबूत होता है तो शारीरिक तौर पर भी अपने आप मजबूती आ जाती है। आत्मबल जिनके अंदर होता है, सक्सेस (सफलता) उनके कदम चूमा करती है।
नैगेटिव ना सोचो, हमेशा पॉजिटिव रहो। खुश रहो, सुमिरन करो, कोई नैगेटीव विचार आए भी हैं, पांच-सात मिनट किया गया सुमिरन उसी समय उन विचारों के फल से आपको बचा लेगा। टेंशन मत लीजिए, लगातार सुमिरन कीजिए, मालिक से मालिक को मांगते रहिए यकीनन जब आप मालिक से मालिक को मांगेंगे तो आपके तमाम गम, दु:ख दर्द, चिंताएं मिट जाएंगी। आप जी फरमाते हैं कि तंदरूस्ती एक नियामत है जब इंसान तंदरूस्त होता है, उस जैसी नियामत कोई और नहीं होती। पर पता तब चलता है जब इंसान बीमार होता है क्योंकि जब तक बीमारी नहीं आती तो भगवान को भी गाली देता है, लेकिन बीमारी आ जाती है तब पता चलता है तंदरूस्ती का क्या मोल होता है। तो आप सुमिरन करें, मालिक से मालिक को मांगते रहें, कड़ा परिश्रम करते रहें तो यकीनन मालिक की कृपा दृष्टि होगी और उसकी दया मेहर रहमत के लायक आप बनते जाएंगे।
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