सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि आज इन्सान दुखी इसलिए है क्योेंकि उसके विचार काबू में नहीं। उसके विचार बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ते रहते हैं। इन्सान के लिए बुरा सोचना व बुरा करना आज आम बात हो गई है। इन्सान काम, वासना, क्रोध, लोभ, मोह, माया में बुरी तरह फंस गया है। इनमें फंसकर इतना अहंकारी और खुद गर्ज हो गया है कि उसे अपने अलावा कोई दूसरा नजर ही नहीं आता। इन्सान के लिए जरूरी है इन्सानियत को जिंदा रखते हुए अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करना। संत, पीर, फकीर सत्संग में जीवों को मालिक के नाम का जाप करने का संदेश देते हैं जिससे इन्सान के अंत:करण की सफाई होगी और बुरे विचार अंदर से चले जाएंगे और इसके पश्चात आप अपने विचारोें पर काबू पाना आप स्वयं सीख जाएंगे।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि सत्संग में चलकर आने से ही इन्सान को इन्सानियत के बारे व इन्सानियत का रास्ता पकड़ने के लिए क्या-क्या करना चाहिए इस बारे में पता चलता है। किसी को दु:ख दर्द में तड़फता देखकर उसके गम, दु:ख व परेशानियों को दूर करना ही सच्ची इन्सानियत है। इन्सानियत को पुन: जीवित करने के लिए संत सत्संग करते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सानियत को जिंदा रखना अति जरूरी है। अगर आप हजारों, लाखों रुपए कमाते हो तो उसका कुछ हिस्सा अपने घर या बैंक में रखते जाओ, जो व्यक्ति आर्थिक तौर पर कमजोर है उस बीमार का ईलाज करवा दो, भुखे को खाना खिला दो, खूनदान करो, मरणोपरांत नेत्रदान व शरीरदान करो ताकि इससे मानवाता का भला हो व इन्सानियता जिंदा रहे।
आप जी फरमाते हैं कि इस स्वार्थी युग में भी बहुत से मालिक के प्यारे हैं , जो ऐसी अलख जगाए हुए हैं तथा ऐसे भले कर्म करते रहते हैं तथा ऐसे कर्म कर वे आगे बढ़ते जाते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आज के स्वार्थी युग में मालिक के नाम का सुमिरन जरूर करें। आप पैदल चलकर या कामधंधा करते हुए भी उस मालिक को याद कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी का भी त्याग नहीं करना पड़ेगा। जैसे-जैसे आप अच्छे कर्म कर आगे बढ़ते जाएंगे मालिक की कृपा होगी व आप उन तमाम खुशियों के हकदार बनेंगे जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। जिस इन्सान के अंदर आत्मिक शांति, आत्मिक आनंद है वो इन्सान दुनिया का सबसे सुखी इन्सान है। इसलिए आप सत्संग सुनो, उस पर अमल किया करो ताकि आपके अंदर आत्मिक शांति आए व आप परमानंद के काबिल बनते चले जाएं।
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