Delhi Kedarnath Temple Controversy : “केदारनाथ एक था, एक है और एक रहेगा”

Delhi Kedarnath Temple Controversy
Delhi Kedarnath Temple Controversy : "केदारनाथ एक था, एक है और एक रहेगा"

Delhi Kedarnath Temple Controversy : नई दिल्ली (एजेंसी)। आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) जोकि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आचार्य दास ने कहा, ‘‘12 ज्योतिर्लिंग हैं, केदारनाथ जी उनमें से एक हैं। यह उत्तराखंड में हैं और इसमें सर्वोच्च शक्तियाँ हैं। 12 ज्योतिर्लिंग की शक्तियाँ अतुलनीय हैं, इसलिए लोग आशीर्वाद लेने के लिए वहाँ जाते हैं। यदि उसी नाम से दिल्ली में कोई दूसरा मंदिर बन रहा है, तो वह 12 ज्योतिर्लिंग में नहीं होगा। मंदिर की प्रतिकृति से लोगों को वही परिणाम नहीं मिलेंगे। केदारनाथ के नाम पर दूसरा मंदिर बनाना उचित नहीं है, अगर इसे बनना ही है, तो इसका नाम अलग होना चाहिए। केवल एक केदारनाथ मंदिर है और यह ऐसा ही रहेगा।’’ Kedarnath temple

हूबहू दूसरे मंदिर का विरोध

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अयोध्या ही नहीं, केदारनाथ मंदिर के पुजारियों ने भी उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में सदियों पुराने हिमालयी मंदिर की प्रतिकृति मंदिर के खिलाफ 15 जुलाई को अपना विरोध दर्ज कराया है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 12-15 जुलाई को 3 दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए।’’

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में बुराड़ी के हिरनकी में मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लिया था। केदारनाथ में पुजारियों के संघ से जुड़े उमेश पोस्ती ने बताया, ‘‘दिल्ली में केदारनाथ नाम पर मंदिर का निर्माण करना सदियों पुराने हिमालयी मंदिर की पवित्रता का अनादर करना है, जिसकी हिंदुओं की कई पीढ़ियाँ पूजा करती हैं।’’

सरकार का स्पष्टीकरण | Kedarnath temple

बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने हालांकि कहा कि राज्य सरकार का दिल्ली केदारनाथ मंदिर के निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है। ‘‘राज्य सरकार का दिल्ली में मंदिर के निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है। अजय ने आगे बताया, ‘‘यह काम केदारनाथ ट्रस्ट नामक संस्था द्वारा किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके निर्माण में कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है। मुख्यमंत्री कुछ संतों और जनप्रतिनिधियों के निमंत्रण पर शिलान्यास समारोह में शामिल हुए क्योंकि यह एक धार्मिक समारोह था।’’ Kedarnath temple

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