श्रीनगर (एजेंसी)। जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों एवं सिखों को निशाना बना कर हो रही हिंसा से चिंतित कश्मीरी हिन्दुओं के संगठन अखिल भारतीय कश्मीरी समाज ने केन्द्र सरकार से मांग की कि कश्मीर घाटी के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए समुचित कदम उठाये जायें। यह मांग ऐसे समय की गयी है जब गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर के तीन दिन के दौरे पर गये हैं।
अखिल भारतीय कश्मीरी समाज के अध्यक्ष रमेश रैना ने यहां एक कार्यक्रम में स्थानीय आतंकवादी संगठन टीआरएफ को हाल की हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ये निशाना बना कर की गयी हत्याओं का मकसद लोगों में भय फैलाना और कश्मीर का इस्लामीकरण करना है। उन्होंने कहा कि घाटी में पाकिस्तान परस्त वर्ग अब भी सक्रिय है। रैना ने कहा कि 1990 में अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों की हत्याएं शुरू हुईं थीं लेकिन अब उन सब लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो इस्लाम को नहीं मानते हैं। बीते एक माह में कश्मीर में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों सहित 11 नागरिकों को मारा है।
इन हत्याओं के माध्यम से कश्मीरी भावना को मारने की कोशिश
सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख रह चुके सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अता हसनैन ने कहा कि 1990 की घटनाएं इसलिए हो सकीं क्योंकि तब भारत बहुत कमजोर था और इस समय स्थिति बिल्कुल उलट है। सरकार बहुत मजबूत है लेकिन फिर भी अभी हुईं हत्याओं के पीछे के मकसद को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ये हत्याएं इसलिए हुईं हैं क्योंकि हमारे दुश्मर कश्मीर को अस्थिर करना चाहते हैं। जब तक बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेता, चीजें ठीक नहीं होने वाली हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता अमन सिन्हा ने कहा कि इन हत्याओं के माध्यम से कश्मीरी भावना को मारने की कोशिश की जा रही है। लेकिन वे लोग अपने बुरे इरादों में कामयाब नहीं होंगे। कश्मीर का मसला मोदी सरकार में शीर्ष प्राथमिकता में है और गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा का संदेश भी बहुत साफ है। उन्होंने कहा कि जब से मोदी सरकार बनी है तब से कश्मीर में जानें गंवाने वालों की संख्या में कमी आयी है। लेकिन हाल की घटनाएं अपवाद हैं और भारतीय सुरक्षा बल ऐसी चुनौतियों का सामना करने में पूर्ण सक्षम हैं।
क्या है मामला
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के मुद्दों पर चर्चा करते हुए श्री अशोक भान ने कहा कि यह कश्मीरी पंडितों के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वे घाटी में लौटना नहीं चाहते हैं। जबकि हमारी मातृभूमि में लौटना और पुन: बसना हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमें हमारा जमीर अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाएगा। अब कहानियों का समय खत्म हो गया है और हमें 130 करोड़ लोगों का समर्थन एवं सहानुभूति की जरूरत है। भान ने कहा कि हम उन दुर्भाग्यशाली लोगों में से हैं जिन्हें अपने समय की सबसे भीषण त्रासदी का सामना करना पड़ रहा है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।