कश्मीर में फिर से 1990 का दौर लौटता दिखाई पड़ रहा है, जब रातोंरात हजारों हिन्दू पंड़ितों को घाटी से पलायन करना पड़ा था। चूंकि तब अलगाववादियों ने कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाते हुए यहां घाटी को मुस्लिम बहुल बनाने का प्रयास किया वहीं भारत सरकार पर दबाव डालने की घटिया चाल चली। परन्तु सरकार एवं आमजन ने उस दौर को काबू कर लिया था। हालांकि हजारों हिन्दुओं ने तब घाटी को छोड़ दिया था, परन्तु अलगाववादियों के हिन्दु-मुस्लिम एकता को तोड़ने के मंसूबे विफल हो गए थे। परन्तु पिछले दिनों कश्मीर फाइल्स फिल्म से कश्मीर के रिसते जख्मों को खरोंच देने का प्रयास हुआ और एक बार फिर से उन जख्मों से खून बह निकला है। पिछले 22 दिन में कश्मीर में नौ लोगों की हत्या की जा चुकी है जिनमें तीन हिन्दुओं को मारा गया वह भी निशाना बनाकर।
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है इसमें कोई शक नहीं, कोई भी भारतीय कश्मीर में जाकर रह सकता है। लेकिन पाकिस्तान परस्त हिजबुल, जैश-ए-मौहम्मद, हुरिर्यत जैसे लोग कश्मीर के चैन से बसने नहीं देना चाह रहे। केन्द्र सरकार ने हालांकि कश्मीर को धारा 370 से निजात दिलाकर दो केंद्र शासित भागों में बांटकर विकास का नया रोडमैप तैयार किया है, लेकिन अलगाववादियों को इससे आग लगी हुई है। आम कश्मीरी को धर्म-जाति या भाषा से एक दूसरे से कोई भेदभाव नहीं है। परन्तु अलगाववादी किसी भी सूरत में अपनी दुकानदारी बंद नहीं होने देना चाहते। अलगाववादी धर्म के नाम पर लोगों में आजाद कश्मीर की नफरत का जहर भर रहे हैं। जबकि आजाद कश्मीर के नाम के एक भू-भाग का पाकिस्तान ने क्या हाल कर रखा है यह कश्मीरियों व बाकी दुनिया से छिपा हुआ नहीं है।
धार्मिक हिंसा केन्द्र सरकार के इरादों को कमजोर नहीं कर सकती। वहां कश्मीरी हिन्दुओं को भी हौसला रखना चाहिए। जान बचाने के लिए अपनी जन्मभूमि से भागना कोई हल नहीं। धार्मिक उन्माद फैलाने वाले यही चाहते हैं, यूपी में बहुत से हिन्दु मकानों पर ‘बिकाऊ है’ महज इसीलिए लिख देते हैं कि वहां वह मुस्लिमों के बीच रहना नहीं चाहते, इससे आपसी गलतफहमियां बढ़ती हैं। कश्मीर में लाखों मुस्लिम ऐसे हैं जिन्होंने कश्मीर के काले दौर में भी हजारों हिन्दुओं की जानें बचाई हैं। अत: अलगाववादी अगर धर्म के नाम पर किसी एक हिन्दु को मारते हैं तब वह साथ ही चार मुस्लिमों को भी तो मार रहे हैं। मुस्लिम तो घाटी नहीं छोड़ रहा।
हिन्दुओं को अलगाववादियों का डटकर मुकाबलना करना चाहिए ताकि उनके नापाक मंसूबे कामयाब नहीं हों। सरकार को चाहिए कि वह जमीनी स्तर पर आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए संसाधनों व सुरक्षा बलों को बढ़ाएं। कश्मीर फाइल्स जैसी नफरती फिल्मों को प्रोत्साहित न किया जाए इस देश में मुस्लिमों, सिक्खों, दलितों सबने दर्द भुगता है। यह देश सबका है, एक दूसरे पर शक व नफरत के माहौल को हवा नहीं मिलनी चाहिए। कश्मीर के प्रति सबको अपना नजरिया ठीक करना होगा वह पाक परस्त हिंसा है। उसका डटकर सामना करना होगा। हिन्दु-मुस्लिम व बौद्ध में बांटकर कश्मीर को जन्नत नहीं बनाया जा सकता।
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