जम्मू-कश्मीर में पीडीपी व भाजपा का गठबंधन टूट
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी व भाजपा का गठबंधन टूट गया है। पीडीपी जो सरकार चला रही थी से भाजपा ने अपना सर्मथन हटा लिया। जब सरकार बनी थी तभी से पूरा देश पीडीपी व भाजपा के इस गठबंधन को हैरत से देख रहा था। पीडीपी के बारे में कश्मीर में आम राय है कि वह कश्मीरी अलगाववादियों से ज्यादा हमदर्दी रखती है।
भाजपा पीडीपी विचारधारा के एकदम विपरीत भारतीय राष्टवाद की बड़ी झंडाबरदार है अत: गठबंधन पहले दिन से ही बेमेल था।हाल के दिनों में कश्मीर में आंतकी घटनाआें, सीमामार से पाकिस्तानी गोलीबारी व घाटी में पत्थरबाज भीड़ के कारण हालात बुरी तरह से बिगड़े हुए हैं। केन्द्र में सरकार चला रही व जम्मू-कश्मीर में सत्ता में भागीदार रही भाजपा का आरोप है कि पीडीपी राज्य में विकास को वह रफ्तार नहीं दे सकी जिसकी भाजपा कोशिश कर रही थी।
इतना ही नहीं आतंक से निपटने के मामले में भी केन्द्र को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था चूंकि पीडीपी प्रशासनिक तौर पर केन्द्र सरकार का सहयोग करने में विफल रही।हाल ही में कश्मीर में मारे गए वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की घटना से सरकार की बहुत किरकिरी हो रही थी। सबसे विवादपूर्ण स्थिति वह रही जब पीडीपी की सिफारिश पर केन्द्र सरकार ने आतंक के विरुद्ध एकतरफा सीजफायर कर दिया।
भाजपा ने खुशी खुशी सीजफायर का सर्मथन कर दिया
यहां पीडीपी पर आज भले ही भाजपा आरोप लगा रही है लेकिन गलती भाजपा की भी है, जिसने खुशी-खुशी सीजफायर का सर्मथन कर दिया। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता ऐसे में धर्म के नाम पर आतंकियों के विरुद्ध दिखाई रहम-दिली आम कश्मीरियों व अपनी ड्यूटी कर रहे जवानों को बहुत मंहगी पड़ी। अब भाजपा भी समझ चुकी है कि उससे गलती हुई है, तभी वह पीडीपी के साथ बने गठबंधन से बाहर आ गई।
गठबंधन टूटने पर भाजपा-पीडीपी कोई भले नहीं के जा सकते, दोनों ने ही पूरे तीन साल तक स्वार्थी गठबंधन चलाने के लिए कश्मीरियों को धोखे में रखा। भाजपा गठबंधन टूटने का ठीकरा भले ही पीडीपी पर फोड़ रही है, लेकिन खुद भी कौनसा कश्मीर का भला कर रही थी।बकरवाल समाज की मासूम बच्ची जो दुष्कर्म के बाद मार दी गई, उस पर हाय तौबा कर कानून व्यवस्था को कार्रवाई से रोकने वाली भाजपा ही थी, वह तो मीडिया व सोशल एक्टीविस्ट डटे रहे और कार्रवाई आगे बढ़ सकी।
कश्मीर घोर साम्प्रदायिक राजनीति में फंस चुका है जिसका भला न पीडीपी से हो पाया न भाजपा से, अंत में दोनों का स्वार्थी गठबंधन टूट गया। कश्मीरियों की समस्या है साम्प्रदायिक, राजनीति व बेरोजगारी। जब तक आम कश्मीरी का इनसे पीछा नहीं छूटता, कश्मीर जलता रहेगा।