शामली में आडू की फसल पर मडराने लगे संकट के बादल

शामली में कांधला के आडू की मांग पूरे देश में है (Peach Fruit Crop)

शामली (सच कहूँ न्यूज)। वैश्विक महामारी के बचाव के लिए लागू लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश में शामली के कांधला क्षेत्र में आडू की तैयार फसल पर संकट के बादल मडराने लगे है। शामली में कांधला के आडू की मांग पूरे देश में है। किसानों की फल की खेती तैयार है लेकिन उनका खरीदार नहीं मिल रहा है। कांधला का आडू पूरे देश में सप्लाई होता है। आडू की खेती पक कर तैयार हो गई है। फसल को बेचने के लिए किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया है। एक तो लॉकडाउन की मार और दूसरा बेमौसम बरसात ने किसानों की समस्या को दोगुना कर दिया है।

  • लॉकडाउन के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं।
  • आडू की फसल नहीं बिक रही है।
  • आडू के बाग तैयार हो चुके हैं।
  • प्रतिदिन कई कुंतल आडू मार्केट में भेजा जा रहा है।
  • मंडी में फलों को रखने की जगह नही होने के कारण खरीदार नहीं मिल रहे है।

किसानों व ठेकेदारों के सामने बड़ी समस्या

लॉकडाउन के चलते आडू फल किसानों व ठेकेदारों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। दिल्ली की आजादपुर मंडी आडू फल की मांग नही होने के कारण उनका खरीदार नहीं मिल रहा है। किसानों को आडू की फसल को औने पौने दाम में निकटवर्ती जिलों में औने पौने भाव बेजना पड़ रहा है। कांधना निवासी किसान तरुण अग्रवाल ने बताया कि मंडी में आडू का भाव नही मिल रहा है। मंडियों में आड़तियों का कहना है कि माल आगे सप्लाई नही हो पा रहा है।

फलों की मांग बहुत सीमित है। अपनी फसल को मंडी में बेचकर वापस लौटते है तब पुलिसकर्मी लॉकडाउन बताकर किसानों पर कभी कभी लाठियां तक भांज देते है। उन्होंने बताया कि शामली के कांधला व कैराना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आड़ू की फसल होती है।

  • कांधला व कैराना का आड़ू देश विदेश के दूर दूर इलाकों में सप्लाई किया जाता है।
  • आडू की धूम आसपास ही नही देश विदेशों में भी खूब देखी जाती है।
  • फिलहाल आडू की खेती पक कर तैयार हो गई है।
  • फसल को बेचने के लिए किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया है।

100 से 150 रुपए का डिब्बा बेचना पड़ रहा है

कांधला के ही शिवचरण ने बताया कि लॉकडाउन के कारण किसान व ठेकेदार अपनी फसल को देश की सबसे बड़ी फल व सब्जी मंडी आजादपुर दिल्ली नही ले जा पा रहे है। जिस आडू को किसान व ठेकेदार पांच से छह किलो आडू का डिब्बा 300 से 350 रूप्ए में बेचता था आज उसी का दाम निकटवर्ती जिलों में 100 से 150 रुपए का डिब्बा बेचना पड़ रहा है। उन्होंने यदि पकी फसल कुछ और दिन नही बिक पायी तो खराब हो जाएगी।

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