पूज्य गुरु जी की डेप्थ मुहिम का समाज पर दिख रहा असर
- कैलाश ने दुकान से नशीले पदार्थ ना बेचने का लिया संकल्प
नेपाल (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा नशों के विरुद्ध चलाई गई डेप्थ मुहिम के तहत कैलाश इन्सां निवासी कबलासी (नेपाल) ने पूज्य गुरु जी के पावन स्वरूप के सामने नारा लगाकर अपनी दुकान से कोई भी नशे पदार्थ ना बेचने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि नशों को समाज से जड़ से खत्म करने के लिए हम नशों के विरूद्ध मिलकर डेप्थ मुहिम चलाएंगे। इस मौके पर उन्होेंने अन्य दुकानदारों से भी अपनी-अपनी दुकान से जर्दा, बीड़ी, सीगरेट, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थ नहीं बेचने की अपील की।
पूज्य गुरु जी द्वारा उठाए गए, इस कदम की क्षेत्र में भरपूर प्रशंसा की जा रही है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का कहना है कि पूज्य गुरु जी व साध-संगत ने मिलकर जो नशे को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया है, यह बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है।
नशा आदमी के फेफड़ों को खत्म कर रहा है: WHO
डब्लूएचओ के अनुसार, सिगरेट पीने की वजह से हर वर्ष 8 करोड़ टन कार्बन डाई आॅक्साइड पर्यावरण में मिल रही है, जिससे वायुमंडल जहरीला होता जा रहा है। इससे पता चलता है कि स्मोकिंग न केवल इन्सानों के फेफड़ों को खत्म कर रही है बल्कि पर्यावरण को भी तबाह कर रही है। ऐसे में अगर आप भी बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू की लत में फंसे हुए है तो जल्द ये छोड़ दे।
तम्बाकू एक धीमा जहर
तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, तंबाकू निकोटिया टैबेकम पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह एक धीमा जहर की तरह धीरे -धीरे आदमी की जान ले लेता है। सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह जितना राजस्व प्राप्त करती है, उससे ज्यादा तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर खर्च किया जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवन शक्ति का ह्रास भी होता है। व्यक्ति को पता चल भी जाता है कि तम्बाकू का सेवन करना हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत नहीं छूटता है और धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन शक्ति भी कम होता जाता है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले कर देता है। तंबाकू खाने से मुंह के कैंसर की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
तम्बाकू के दुष्प्रभाव
तम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु,पान मसाला या खैनी, के रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है। सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना, तथा कैंसर रोग भी हो सकता है। बीड़ी-सिगरेट के पीने से शरीर में व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनफेक्शन तथा अनजाइना हो सकता है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है। साँस की बीमारी जैसे ब्रोंकाइटीस, दमा, तथा फेफड़ो का कैंसर हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रभाव शरीर के स्नायुतंत्र में पड़ता है। इसकी और बहुत सी हानियाँ हैं।
संसार में नशों की बाढ़ आई हुई है। हमारे देश की बात कर लिजिए, बहुत जगहों पर, बहुत तरहों के नशे बर्बाद कर रहे है। नशे से देश की जवानी, देश का बचपन बर्बाद होता जा रहा है और यह नशा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। बहुत सारी जिंदगियां नशा बर्बाद कर चुका है और खत्म कर चुका है तथा बहुत जिंदगियों को खत्म करने की कगार की तरफ लेकर जा रहा है। पहले एक हल्के पीले और लाल रंग की बेल हुआ करती थी, जिसके शायद अलग-अलग नाम हो, जिसे अंबर बेल भी कहते थे। यह बेल जिस पेड़ पर गिर जाती थी, उसको बर्बाद कर देती थी। आज उसी तरह नशा हमारे समाज के ऊपर गिरा हुआ है, गिरफ्त में ले रखा है नशे ने और इससे हमारा समाज खोखला होता जा रहा है।
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।
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