बॉलीवुड़ के दिग्गज कलाकार कादर खान के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उनके प्रशंसक देश तक ही सीमित नहीं है इसलिए तमाम जगहों से प्रतिक्रियाएं आ रहीं है। इस महान कलाकार का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था।बहुत कम उम्र में वह परिवार के साथ मुंबई आ गए थे। यहीं उन्होंने शिक्षा प्राप्त की व उसके बाद कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी भी की। 36 वर्ष की उम्र में 1973 में उन्हें दाग फिल्म से बतौर एक्टर करियर की शुरूआत करने का मौका मिला। हालांकि इससे पहले वह रणधीर कपूर और जया बच्चन की फिल्म जवानी-दिवानी के लिए संवाद लिख चुके थे। एक पटकथा लेखक के तौर पर कादर खान ने मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के साथ भी कई फिल्में लिख चुके थे। इनमें ज्यादातर अमिताभ बच्चन की फिल्में शामिल हैं। अमिताभ को सुपर स्टार बनाने में खान के संवादों का अहम रोल रहा है। दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम भी किया है।
करीब पांच दशकों तक बॉलीवुड में हर किरदार में हिट व फिट रहें कादर खान अपनी टाइमिंग के लिए भी खासतौर पर जाने जाते थे। रिपिट एक्शन या यूं कहें कि रिटेक बहुत कम लेते थे जिससे अन्य कलाकार भी उनसे प्रेरणा लेते थे। वह अपने आप में स्वयं एक ट्रेनिगं स्कूल थे। अपने काम के प्रति इमानदारी हमेशा से उनके अंदर देखने को मिली। न जाने कितने लोगों को बिना स्वार्थ के कलाकार बनाकर बॉलीवुड में स्थान दिलवाया। हमेशा जरुरतमंदों की सहायता की जिसके चलते वो सब उनको गुरु,भाई व बाप मानते थे। 80 के दशक में एक इंटरव्यू के दौरान एक पत्रकार ने उनसे पाकिस्तान से रिश्तों को लेकर पूछा कि आप पाकिस्तान में जन्में है क्या कभी आपका वहां जाने का मन या वहां फिल्में करने का मन नहीं करता?
इस बात पर कादर खान ने बेहद शानदार जबाव देते हुए कहा था कि मैं तो हिन्दुस्तान में पैदा हुआ था मेरे पैदा होने के बाद बंटवारा हुआ था। जितना प्यार मुझे हिन्दुस्तान में मिलता है इतना तो पाकिस्तान छोड़ो पूरी दुनिया में कहीं नही मिल सकता। मेरे मुल्क से अच्छा कोई नही। इसके बाद से देश में व उनके प्रशसंकों में उनका सम्मान और अधिक बढ़ गया था। इसके साथ कभी किसी विवाद से उनका रिश्ता नहीं रहा क्योंकि सबके लिए समान सोच ही उनकी सबसे बड़ी पहचान बनी।अपने करियर के शुरूआती दौर में बतौर विलेन कई फिल्में में की जिसमें हीरो की भूमिका निभाने वाले हर कलाकार को फीका कर देते थे। 70 व 80 के दशक में एक फिल्म में कई लोगों की टीम काम करती थी जिसमें विलेन की संख्या भी अच्छी खासी होती था लेकिन पूरे फिल्म में सबसे शानदार किरदार के लिए उनको हर बार प्रशंसा मिली। खान से सिनियर,साथ के व जूनियर कलाकार हमेशा उनसे सीखते थे।
दूल्हे राजा, कुली न.1, साजन चले ससुराल, मुझसे शादी करोगी, हिम्मतवाला (पुरानी), मैं खिलाड़ी तंू अनाडी, आंखें, सिक्का, हम जैसी फिल्मों मे इस कलाकार द्वारा किए गए रोल को कोई भी पीढ़ी नही भूल सकती। आश्चर्य कि बात तो यह है कि जो लोग इन फिल्मों के आने पैदा हुए हैं वो भी इन फिल्मों के डायलॉग गुनगुनाते हैं। उनकी दीवानगी हर आयु वर्ग के लिए देखने को मिलती रही है और आगे भी हमेशा मिलेगी।
कादर खान जैसे हीरो रील लाइफ में हिट तो रियल लाइफ में सुपरहिट रहते हैं। अपने परोपकार से सैंकड़ों लोगों का भला करने वाले इस अभिनेता कभी किसी पर कोई एहसान तक भी नहीं जताया। हालांकि खुद जिंदगी में कई बार उतार-चढ़ाव देखे लेकिन डगमगाए नहीं और अपनी परेशानी का हल स्वयं ही ढूंढने में सक्षम थे। ऐसे महान अभिनेता को खोने का देश को बहुत दुख है व देशवासी अपनी श्रृद्धांजलि व्यक्त करते हैं।
योगेश कुमार सोनी
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