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3 पुलिसवालों को 5 साल की सजा
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17 महीने बाद आया बड़ा फैसला
पठानकोट। देश को झकझोर कर रख देने वाले कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस में पठानकोट सेशन कोर्ट ने तीन दोषियों दीपक खजुरिया, सांजी राम और परवेश कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई हैं। इन पर कोर्ट ने एक-एक लाख का जुमार्ना भी लगाया है। वहीं, सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले तीन अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने 5 साल की सजा दी है। इन तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया है।
इससे पहले सोमवार सुबह सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 7 में से 6 आरोपियों को दोषी करार दिया था। पको बता दें कि स्पेशल कोर्ट ने 6 दोषियों में से 3 को रेप और मर्डर का दोषी पाया। बाकी तीन को सबूत मिटाने का दोषी माना गया। सांजी राम, परवेश कुमार, दीपक खजुरिया को 302 (मर्डर), 376 (रेप), 120 बी (साजिश), 363 (किडनैपिंग) के तहत दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने पुलिसकर्मी आनंद दत्ता, सुरेंद्र कुमार, तिलक राज को 201 (सबूतों को मिटाना) के तहत दोषी माना।
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जानिए क्या था पूरा मामला
पुलिस की चार्जशीट मुताबिक, बच्ची को 10 जनवरी 2018 को अगवा कर उसे मंदिर में बंधक रखा गया था। बच्ची उस वक्त घोड़े को चरा रही थी, जब उसे अगवा किया गया था। इस दौरान उसके साथ गैंगरेप हुआ और बाद में हत्या कर दी गई थी। मामले में 15 पन्नों की चार्जशीट दायर हुई थी। आरोपपत्र के अनुसार बच्ची को 10 जनवरी को अगवा किया था, 14 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई थी और 17 जनवरी को उसका शव मिला था। उसे नशे की हालत में मंदिर के देवीस्थान में रखा गया था और बार-बार उसका रेप किया गया था, फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। चार्जशीट में यह भी सामने आया था कि जम्मू के हिंदू बहुल इलाके से मुस्लिम आबादी को खदेड़ने के लिए बच्ची की नृशंस हत्या की गई थी।
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सबसे कम उम्र में जज बनने वाले तेजविंदर सिंह ने की सुनवाई
जून 2018 के पहले हफ्ते में कठुआ से करीब 30 किमी दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में रोजाना कैमरे की निगरानी में मामले की सुनवाई शुरू हुई। यहां सेशन जज तेजविंदर सिंह ने मामले की सुनवाई की जिनके नाम सबसे कम उम्र में सिविल जज बनने का रेकॉर्ड लिम्का बुक में दर्ज है।
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