नई दिल्ली(एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एके सीकरी ने लंदन स्थित कामनवेल्थ सिकरिट्रिएट आर्बीट्रल ट्रिब्युनल (सीएसएटी) का सदस्य नामित होने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जस्टिस सीकरी ने अपनी सहमति वापस लेते हुए सरकार की संबंधित अथारिटीज से कहा है कि वे इस दिशा में आगे कोई प्रक्रिया न करें।
दिसंबर में ली गई थी जस्टिस सीकरी से सहमति
सरकार की ओर से दिसंबर के पहले सप्ताह में जस्टिस सीकरी से सहमति ली गई थी। जस्टिस सीकरी मुख्य न्यायाधीश के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने पर विचार करने वाली तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी में जस्टिस सीकरी भी शामिल थे। उन्हें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी जगह कमेटी में नामित किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ सहमति जताते हुए दो एक के बहुमत से वर्मा का सीबीआइ निदेशक पद से तबादला करने का निर्णय दिया था।
मौखिक तौर पर दी थी सहमति
जस्टिस सीकरी का मत कमेटी के फैसले में महत्वपूर्ण रहा था क्योंकि कमेटी के तीसरे सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने असहमति जताई थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से दिसंबर के पहले सप्ताह में जस्टिस सीकरी से संपर्क किया गया और कामनवेल्थ सिकरिट्रिएट आर्बीट्रल ट्रिब्युनल (सीएसएटी) के सदस्य या अध्यक्ष नामित करने के लिए उनकी सहमति मांगी गई थी। जस्टिस सीकरी ने उस समय मौखिक तौर पर अपनी सहमति दे दी थी।
इस पद के लिए कोई निश्चित मासिक वेतन या भत्ते नहीं मिलता
बताया जाता है कि जिस सीएसएटी के सदस्य या अध्यक्ष नामित होने के लिए सहमति मांगी गई थी वह कोई नियमित पद नहीं है। इस पद के लिए कोई निश्चित मासिक वेतन या भत्ते नहीं मिलते। इसकी वर्ष भर में दो तीन सुनवाइयां होती हैं। सूत्र बताते है कि जस्टिस सीकरी को उस समय ये सब बातें बताई गईं थीं और तभी उन्होंने अपनी मौखिक स्वीकृति दे दी थी लेकिन उसके बाद सरकार की ओर से कोई सूचना या पत्राचार नहीं हुआ। रविवार को जस्टिस सीकरी ने सक्षम अथारिटी को संपर्क करके अपनी सहमति वापस ले ली और इस संबंध में आगे कोई प्रक्रिया न करने को कहा है।
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