एक दिन मैंने अपने आठ साल के बेटे से नींबू का शरबत बना लाने को कहा। वही नींबू का शरबत तो बना लाया, लेकिन उसमें चीनी डालना भूल गया। मैंने उससे पूछा कि चीनी नहीं डाली। तभी उसने अपनी भूल छुपाने के लिए तपाक से जवाब दिया, ‘‘पापा! चीनी डाली तो थी, घुल गई होगी।’’
एक बुजुर्ग- ‘बेटा कैसे हो?’
बच्चा-जी, बिल्कुल ठीक हूँ…
बुजुर्ग-‘पढ़ाई कैसी चल रही है?’
बच्चा-‘जी, बिल्कुल आपकी ज़िंदगी की तरह…’
बुजुर्ग-‘मतलब?’
बच्चा-‘भगवान भरोसे!!!’
एक बच्चे ने पूछा, ‘‘पापा! मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।’’
पापा बोले, ‘‘बेटा, अच्छा मुझे बताओ क्या समझ नहीं आ रहा है?’’
बेटा, ‘‘पहला, जिसने घड़ी बनाई, उसने टाइम कैसे मिलाया?’’
पिता, ‘‘और।’’
बेटा, ‘‘दूसरा, पहली बार दही जमाया तो जामण कहां से आया?’’
पिता लाजवाब
टीचर ने बच्चों को क्रिकेट मैच पर निबंध लिखने के लिए कहा।
सभी छात्र अपनी-अपनी कॉपी लेकर निबंध लिखने में जुट गए।
मगर रूलदू चुपचाप बैठा था।
टीचर ने उसकी कॉपी देखा तो उस पर सिर्फ एक ही लाइन लिखी थी, ‘‘बारिश की वजह से मैच स्थगित कर दिया गया है।’’
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