अब ईरान ने भी वहां हुए एक आतंकी हमले एवं उसमें शहीद हुए ईरान के 23 सैनिकों के विषय पर पाकिस्तान को चेतावनी दे दी है। इस पर पाकिस्तान के तमाम नेता सकते में हैं और पूर्व राष्टÑपति आसिफ अली जरदारी पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को चेता रहे हैं कि उन्हें दुनिया में पाकिस्तान का मित्र नजर नहीं आ रहा? अमेरिका ने भारत पर हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान को पहले ही चेता दिया है कि वह आतंकियों को पनाह देना बंद कर दे। इस पर भी पाकिस्तान की सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।
लिहाजा अब दुनिया को समझना होगा कि पाकिस्तान दरअसल एक दिखावटी सरकार के सहारे है, ऐसे में अंतराष्टÑीय समुदाय जिस सरकार से उम्मीद कर रहा है कि वह पाकिस्तान में आतंकी सरगनाओं को नियंत्रित करे यह शायद अब उसके वश में नहीं रहा। ईरान व भारत को संयुक्त राष्टÑ में यह मांग रखनी चाहिए कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्टÑ की निगरानी में अंतराष्टÑीय शांति सेना काम करे जो वहां चल रहे आतंकी अड्डों को खत्म करे व साथ ही उन लोगों को गिरफ्तार करे जो भारत या अन्य देशों को चाहिए। जिनके लिए चीन भी अड़गे लगाता है।
या फिर ऐसे आतंकियों को अंतराष्टÑीय न्यायलयों में खड़ा कर उनके विरुद्ध मानवता के वध के मुकदमें चलें। हालांकि भारत व ईरान भी यह कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन यह युद्ध का कारण बनेगी। अगर यही काम अंतराष्टÑीय सेना करेगी तब उसमें यहां पाक सेना तटस्थ रखी जायेगी वहीं आम पाकिस्तानी भी विश्व शांति सेना के प्रयासों को समर्थन देगा। चूंकि पाकिस्तान में आज हजारों गरीब बच्चों व युवकों को कट्टर व स्वार्थी लोग आतंक व नशे की अंधेरी दुनिया में झोंक रहे हैं। अन्यथा अभी भारत या ईरान पर हुए आतंकी हमलों पर विश्व समुदाय जो बोल रहा है वह महज औपचारिकता या खानापूर्ति ही बनी रहेगी और पाकिस्तान में सरकार पर हावी हुए बैठे आतंकी सरगना वहां की फौज की मदद से पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, ईरान व भारत यहां तक कि अमेरिका व यूरोप के लिए भी आतंक की सप्लाई करते रहेंगे।
अब तक के व्यवहार से दुनिया भर में यह तो साफ हो ही गया है कि पाकिस्तान आतंकियों की पनाहगाह है, जिसका दुनिया में कोई दोस्त कहलाना भी पसंद नहीं करता। चीन भले पाकिस्तान का पक्ष लेता है लेकिन वह दोस्ती की खातिर नहीं है वह भी चीन के अपने व्ययापारिक व राजनीतिक हित हैं, जिसके लिए वह पाकिस्तान को सहायता कर रहा है। भारत को विश्व समुदाय को पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था का हवाला देना चाहिए तत्पश्चात वहां आतंकियों एवं सेना के आपसी गठबंधन के विरुद्ध विश्व कार्रवाई का मसौदा लाने के प्रयास भी करने चाहिए, जिस पर देर-सवेर विश्व समुदाय कार्यवाही करने का अवश्य मन बनाएगा।
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