पंजाब के जलालाबाद से सतगुरु के पावन स्वरूप को जह्न में रखकर शुरू किया सफर
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बोला-अब तो पूज्य गुरु जी के पावन दर्श-दीदार की ही तमन्ना
सरसा (सच कहूँ/रविन्द्र रियाज)। ‘अभी से पाँव के छाले न देखो, अभी यारो सफर की इब्तिदा है’ एजाज रहमानी के इस शेर की पंक्तियां भक्ति पथ पर ज़ज्बे, जुनून और जोश से आगे बढ़ने वालों का हौंसला बढ़ा रही हैं। क्योंकि जब शिष्य अपने सतगुरु के प्रेम में नि:स्वार्थ भाव चलता है तो उसके मार्ग में आने वाली हर मुश्किल उसके आगे घुटने टेक देती है। ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला शाह सतनाम जी धाम, सरसा में। जब पंजाब के जलालाबाद से एक श्रद्धालु (Joginder Insan) पैदल चलकर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दर्शनों की चाहत में यहां पहुंचा।
बता दें कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के आगमन पर साध-संगत अपने घरों में घी के दीये जलाकर, एक दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार कर रही है। प्रतिदिन डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालु अपने-अपने अंदाज में पूज्य गुरु जी के प्रति अपने प्रेम (Joginder Insan) का इजहार करती दिखाई देते हैं। इसके साथ ही गरीब जरूरतमंदों की मदद का सिलसिला भी निरंतर जारी है। इसी बीच सतगुरु के प्रेम का एक अनोखा नजारा देखने को मिला।
दरअसल पंजाब प्रान्त के जलालाबाद क्षेत्र के गाँव बाहमनीय वाला से पेंटर का काम करने वाले जोगिन्दर इन्सां ने 2017 में जब पूज्य गुरु जी सरसा से गए थे, उस समय अपने मन में प्रण किया था कि अब जब भी पूज्य गुरु जी के हमारे बीच पधारेंगे तो मैं पदयात्रा कर जलालाबाद से सरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा जाऊंगा। ऐसे में जब पूज्य गुरु जी की छुट्टी की सूचना मिली तो जोगिंदर इन्सां को अपना प्रण याद आ गया।
डेरा श्रद्धालु जोगिंदर इन्सां (Joginder Insan) ने अपने घर के कामकाज निपटाते हुए 13 फरवरी को जलालाबाद से सरसा पैदल आने का मन बना लिया। 13 फरवरी को जोगिन्दर अकेला अपने घर से सुबह 6 बजे निकला। पहले दिन जोगिन्दर इन्सां ने 55 किलोमीटर का सफर तय किया। दूसरे दिन उन्होंने 25 किलोमीटर का सफर तय किया। इसी तरह सफर करते-करते वो 15 फरवरी सुबह तक डबवाली कैंटीन पर पहुंच गए। बता दें कि जोगिंदर और उनकी पत्नी मलकीत कौर घर से तालमेल बनाकर चले थे। 15 फरवरी को मलकीत कौर जलालाबाद से साध-संगत की बस में सवार होकर डबवाली पहुंची तो उन्होंने आपस में फोन पर बातचीत की और उस समय जोगिंदर की पत्नी मलकीत कौर इन्सां ने भी उनके पति के साथ पैदल सरसा जाने का मन बनाया।
चाय-पानी पीकर जोगिंदर व मलकीत कौर इन्सां एक साथ डेरा सच्चा सौदा की ओर पैदल चल पड़े। देर रात तक दोनों शाह मस्ताना जी धाम पहुंचे। सुबह होते ही दोनों सीधे शाह सतनाम जी धाम में पहुंचे। सच कहूँ संवाददाता रविन्द्र रियाज से बातचीत करते हुए जोगिंदर सिंह ने बताया कि मैंने मन में ठान रखा था कि जब भी पूज्य गुरु जी आएंगे मैं जलालाबाद से पैदल चलकर डेरा सच्चा सौदा में नतमस्तक होने के लिए जाऊंगा। उन्होंने बताया कि मैं पूज्य गुरु जी को हाजिर-नाजिर मानकर और उनके नूरी स्वरूप को जह्न में रखकर चलता रहा। ऐसा करते-करते कब सरसा पहुँच गया, खुद को पता ही नहीं चला। हालांकि इस दौरान मेरे पाँव में काफी सूजन आ गई, लेकिन सतगुरु जी ने मुझे कोई दिक्कत नहीं आने दी।
उन्होंने बताया कि डबवाली से उनकी पत्नी भी साथ सरसा तक पैदल चलकर आई। जोगिंदर इन्सां ने बताया कि आज दरबार पहुंच कर मुझे ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे मेरा हज पूरा हो गया हो। अब तो सिर्फ यही तमन्ना है कि पूज्य गुरु जी जल्द से जल्द हम सबके बीच पधारें और हमें अपने नूरानी दर्शनों से सराबोर करें।
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