एक झूठी दिलासा

Jhuthi Dilasa Story
Jhuthi Dilasa Story : एक झूठी दिलासा

Jhuthi Dilasa Story: टोनी के पापा चले गए इस संसार से जब तीन साल का था टोनी। ‘‘सबके पापा हैं। मेरे पापा कहाँ हैं। आते नहीं हैं। रामू के पापा तो चले गए थे वो तो आ गए। मिठाइयाँ लाए थे। टॉफियाँ लाए थे। मेरे पापा पता नहीं कब आयेंगे। आयेंगे तो खूब बात करूँगा। पूछूँगा जल्दी क्योंं नहीं आते हो। जल्दी आ जाया करिए। बहुत याद आती हैं।’’ मम्मी के पास जाकर टोनी ने कहा।

‘‘मम्मी, पापा कब आयेंगे। तुम तो कहती थी। पापा कमाने गए हैं। खूब पैसा लायेंगे। टाफियाँ लायेंगे। सबके पापा बहुत अच्छे हैं। पापा हम लोगों को याद नहीं करते हैं। गंदे पापा हैं।’’

‘‘नहीं बेटे, छुट्टी नहीं है। छुट्टी मिलेगी। आ जायेंगे। तेरे पापा तुम्हें याद करते हैं। कहते हैं। आयेंगे तो टोनी से खूब बात करेंगे। टोनी मेरा बड़ा हो गया है। खूब टॉफियाँ लायेंगे . . .’’ मम्मी ने बेटे को झूठा दिलासा देते हुए कहा। माहौल भयानक पीड़ा का एहसास कराने वाला हो गया था। Jhuthi Dilasa Story

‘‘मम्मी तुम रो रही हो, पापा आयेंगे तब क्यों रो रही हो। टॉफियाँ पापा लायेंगे तो तुमको ढेर सारी टॉफियाँ पापा से कह कर दिला दूँगा,’’ टोनी मम्मी को चुप कराते हुए बोला। माँ टोनी को खींच कर अपने बाँहों में भर कर सिसकने लगी। टोनी भी माँ को रोते देख कर रोने लगा। गमगीन माहौल हो गया था। वेदना मुखर हो गई थी। चेतना शून्य हो गई थी। करुण बहाव झर-झर बह रहे थे। रुदन बेधता हुआ हृदय को चीर कर रख दिया था। झूठे दिलासे दिलाते-दिलाते माँ टूट गई।

‘‘टोनी अब तेरे पापा कभी नहीं आयेंगे। तेरे पापा भगवान के घर चले गए हैं।’’

‘‘मम्मी, मैं भगवान से कह दूँगा कि मेरे पापा को भेज दो। भगवान भेज देंगे। नहीं भेजेंगे तो बड़ा हो जाऊँगा तो भगवान से जरूर छीन लाऊंगा, मम्मी!’’

बेटे के इस भोलेपन की बातें सुनकर माँ बेटे को देखती रह गई। अनाथ टोनी को माँ थपकियाँ देने लगी। आसमान की तरफ एकटक निहारने लगी। भावना शून्य हो गई। एक खामोश पल हो गया था। प्रकृति भी मौन हो गई थी।
                                                                                                          -जयचन्द प्रजापति ‘जय’

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