नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि कर्ज माफी के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। पंजाब में राज्य सरकार की ओर से करीब 10 लाख किसानों के कर्ज माफ किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी की घोषणा के एक दिन बाद उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। हमारे पास एफआरबीएम (राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंध) कानून और राजकोषीय घाटा का निर्धारित लक्ष्य है, हमारा इरादा इसका अनुपालन करने का है।
वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है जो पिछले वित्त वर्ष में 3.5 प्रतिशत था। पूर्व राजस्व सचिव एन के सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने मार्च 2020 तक बजटीय घाटा 3 प्रतिशत पर सीमित करने की सिफारिश की है। समिति ने 2022-23 तक इसे घटाकर 2.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
जेटली ने कहा था कि
इस रबी मौसम में फसल की बंपर पैदावार से घरेलू बाजार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में गिरावट के कारण कई राज्यों में किसान संकट में है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में रिण माफी की घोषणा के मद्देनजर केंद्र सरकार का यह रूख महत्वपूर्ण है। इससे पहले, 12 जून को जेटली ने कहा था कि कर्ज माफी के लिए सहायता नहीं देगा और अगर वे ऋण माफी करते हैं तो उसके लिए धन की व्यवस्था उन्हें अपने कोष से करनी होगी।
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