जयपुर। Cow Dung lamp Diya: गोबर के दीए से इस बार प्रवासी भारतीयों के घर-आंगन रोशन करने की तैयारी है। इसके लिए विदेशों में बसे भारतीयों के लिए अकेले जयपुर से 20 लाख दीये निर्यात किए गए हैं। ये दीये टोंक रोड स्थित श्रीपिंजरापोल गौशाला परिसर में सनराइज आर्गेनिक पार्क में बनाए गए हैं। पिछले करीब छह माह से महिला स्वयं सहायता समूहों की दर्जनों महिलाएं इन इको-फ्रेंडली दीपकों (Eco-Friendly Lamp) का निर्माण कर रही हैं। हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी व आईआईएएएसडी के सहयोग से बनाए जा रहे इस दीपकों को भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ की ओर से मार्केट उपलब्ध करवा रहा है। Jaipur News
गाय के गोबर से बने दीये से रोशन होंगे अमेरिका के घर-आंगन
पर्यावरण संरक्षण व महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने की दिशा में गोबर से बने दीए को अहम माना जा रहा है। रंग-बिरंगे गोबर के ये दीए इस बार चार शानदार डिजाइन में तैयार किए जा रहे हैं। सनराइज आर्गेनिक पार्क में औषधीय खेती कर रही हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी से जुड़ी महिलाओं ने इस दिशा में अभिनव पहल की है। इन्हीं महिलाओं ने गाय के गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करने का जरिया बना लिया है। ये महिलाएं आकर्षक दीए बनाने के साथ-साथ लक्ष्मी जी व गणेश जी की मूर्ति सहित कई तरह की कलात्मक चीजें भी बना रही हैं। इकोफ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी इसकी मांग आ रही है। Diwali 2023
सनराइज आर्गेनिक पार्क में बने 20 लाख दीपक किए निर्यात
हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की अध्यक्ष मोनिका गुप्ता ने बताया कि दीपक बनाने के लिए पहले गाय के गोबर को इक्कठा किया जाता है। उसके बाद करीब ढाई किलो गोबर के पाउडर में एक किलो प्रीमिक्स व गोंद मिलाते हैं। गीली मिट्टी की तरह छानने के बाद इसे हाथ से उसको गूंथा जाता है। शुद्धि के लिए इनमें जटा मासी, पीली सरसों, विशेष वृक्ष की छाल, एलोवेरा, मेथी के बीज, इमली के बीज आदि को मिलाया जाता है। इसमें 40 प्रतिशत ताजा गोबर और 60 प्रतिशत सूखा गोबर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद गाय के गोबर के दीपक का खूबसूरत आकार दिया जाता है। एक मिनट में चार दीये तैयार हो जाते हैं। इसे दो दिनों तक धूप में सुखाने के बाद अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है।
प्रतिदिन 20 महिलाएं 3000 हजार दीपक बना रही हैं। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास है। इसलिए हमारा लक्ष्य दीये का उपयोग बढाकर लोगों को गाय के गोबर के महत्व को बताना है। उन्होंने बताया कि अब तक जयपुर सहित तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली व हरियाणा के साथ-साथ अमेरिका सहित छह देशों में गाय के गोबर से निर्मित दीयों की डिमांड आयी है। होलसेल में दीए की कीमत 2 रुपए से लेकर 10 रुपए प्रति नग है। अब तक करीब 20 लाख दीए बनाए जा चुके हैं, परंतु डिमांड के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इतना नहीं इसके साथ-साथ गणेश और लक्ष्मी माता की मूर्ति भी इको फ्रेंडली बनाई जा रही है। Jaipur News
दीपक चायनीज नहीं बल्कि गाय के गोबर से दीये का संभाला जिम्मा
भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि चीन किस तरह मार्केट को पकड़ता है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन जिन त्योहारों को मानता ही नहीं है वह उसे मनाने के लिए सामान बनाता है। होली चीन में नहीं खेली जाती लेकिन उसकी पिचकारी चीन से बनकर आती है। चीन दीपावली नहीं मनाता लेकिन हमारे घरों को रोशन करने वाली लाइटें चीन से बनकर आती हैं। लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। भारत ने यह ठान लिया है कि जब पर्व भारतीय हैं तो उसकी कमाई कोई और क्यों ले जाए। Cow Dung lamp Diya
कुछ इसी तर्ज पर जयपुर सहित देश-प्रदेश में महिलाओं ने इस बार दीपावली पर जलने वाले दीपक चायनीज नहीं बल्कि गाय के गोबर से बनाकर आमजन को उपलब्ध कराने का जिम्मा संभाला है। उन्होंने बताया कि इस दीपक के जलने से घर में हवन की खुशबू महकेगी। जिससे घर के वातावरण को पटाखों की गैस को कम करने में सहायक होगी। दीये को दीपावली में उपयोग करने के बाद जैविक खाद बनाने उपयोग में लाया जा सकता है। दीये के अवशेष को गमला या कीचन गार्डन में भी उपयोग किया जा सकता है। इस तरह मिट्टी के दीये बनाने और पकाने में पर्यावरण को होने वाले नुकसान के स्थान पर गोबर को दीए को इको फ्रेंडली माना जाता है। उन्होंने सनातनधर्मियों से गाय के गोबर से बने दीपक जलाने का आह्वान किया है। Jaipur News
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