पंजाब की जेलों के विषय में कहा जाता है कि जो नशा बाहर से नहीं मिलता, वह जेल में से आसानी से मिल जाता है। सुधारगृह के नाम पर जानी जाने वाली जेलों में अपराध की ट्रेनिंग मिल रही है। पंजाब सहित अन्य राज्यों की जेलों में घातक मादक पदार्थ, मोबाइल जब्त होने के समाचार आम बात हैं। बहुत सी जेलों में माफिया सरगनाओं का दरबार लगाना, नाचगान करवाने तक की कहानियां भी जेलों से बाहर आती रहती हैं।
संदिग्ध जेलों के अफसर अपराधियों से सांठगाठ के चलते कई दफा गिरफ्तार भी हो चुके हैं। नशे के सौदागरों के लिए तो जेलें जैसे सुरक्षित मंडियां हो गई हैं। आजकल जेलों से अपराधी सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों को भी अपडेट करने लगे हैं। पिछले महीनों में पंजाब में एक जेल ब्रेक कर खतरनाक अपराधी भाग गए थे, जिनके साथ आतंकी भी भाग गए थे।
यह सब इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि कहीं न कहीं राजनेता भी जेलों के अंदर की दुनिया में अपनी दिलचस्पी रख रहे हैं। कई नेताओं का अपराधिक संबंध उन्हें जेल तक भी ले गया है। बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्टÑ, पंजाब में जेलों के प्रबंधों को ठीक किए जाने की बेहद आवश्यकता है। देश में फैल रहे घातक मादक पदार्थों के जाल का नेटवर्क तोड़ने के सूत्र जेलों से ही मिल सकते हैं।
नशों से इतर यदि नैतिक जीवन की भी बात करें, तब जेलों में कमजोर कैदियों का दैहिक व मानसिक शोषण भी एक बड़ी समस्या है। दबंग कैदी, कमजोर कैदियों से अपना निजी काम करवाने के साथ उनकी मार-पिटाई भी करते हैं। जेलों में अनैतिक जीवन की मुख्य वजह उनमें क्षमता से अधिक कैदियों का ठूंस-ठूंस कर रखा जाना भी है।
बढ़ रही अपराधियों की संख्या के सामने जेलों का विस्तार नहीं हो रहा, जिसके चलते सुधार गृह की भूमिका निभाने वाली जेलें एक तरह से यातना गृह बनकर रह गई हैं। यहां समाजविज्ञान की नजर में एक अपराधी जो मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति है, वह और ज्यादा बीमार व हिंसक हो रहा है। केन्द्र व राज्य सरकारों को जेलों में सुरक्षा, अनुशासन को बढ़ाने के प्रयास करने होंगे।
जेलों में आधुनिक दौर के अनुसार शिक्षा, रोजगार व तनाव से दूर करने के प्रबंध समान्तर तौर पर विकसित करने होंगे, ताकि कोई भी व्यक्ति जो सजा काट रहा है, या काट कर बाहर आने वाला है, वह पुन: अपराध की ओर नहीं लौटे। जेलें अपराध के नए ट्रेनिंग स्थल तो कतई नहीं बननी चाहिए।
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