नई दिल्ली (सच कहूं)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को देश का 14वां उप राष्ट्रपति चुन लिया गया है। संसद भवन में शनिवार को हुए उप राष्ट्रपति चुनाव में धनखड़ को 528 मत मिले हैं। चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा 182 मत लेने में कामयाब रहीं। उप राष्ट्रपति चुनाव अधिकारी और लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुल 780 वोटों में से धनखड़ को 528 और श्रीमती अल्वा को 182 मत मिले हैं। शेष 15 वोट अवैध करार दिये गये हैं।
Congratulations @jdhankhar1 for being elected as the 14th #VicePresidentOfIndia. Your experience, profound knowledge and remarkable leadership will surely benefit the nation.
— Honeypreet Insan (@insan_honey) August 6, 2022
मौजूदा उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। उप राष्ट्रपति चुने जाने पर धनखड़ को उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी हैं। वहीं साहिबजादी बहन हनीप्रीत इन्सां ट्वीट कर जगदीप धनखड़ को देश का 14वां उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई एवं शुभकामनाएँ दी है। बहन ने ट्वीट कर लिखा, जगदीप धनखड़ को देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं। आपका अनुभव, गहन ज्ञान और उल्लेखनीय नेतृत्व निश्चित रूप से राष्ट्र को लाभान्वित करेगा।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से उभरे धनखड़ दूसरे सर्वोच्च पद के लिए निर्वाचित
राजस्थान के झुंझनू जिले के एक गांव में जन्मे और वहीं पले-बढ़े नवनिर्वाचित उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के करियर की पहली पसंद वकालत थी। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में भारतीय राजनीति के कई रंगों का अनुभव किया और इस दौरान केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य लेकर राज्यपाल पद की जिम्मेदारी संभालते हुए अब वह देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। वर्ष 1951 में 18 मई को ठिकाना गांव जन्मे धनखड़ माता केसरी देवी
और पिता गोकल चंद की चार संतानों में दूसरे नंबर के थे। उनकी पांचवी कक्षा की पढ़ाई ठिकाना गांव में ही हुई। मिडिल स्तर की शिक्षा के लिए वह गरथाना गये। उन्होंने चित्तौढ़ गढ़ सैनिक स्कूल में भी शिक्षा ग्रहण की। वहां बारहवीं कक्षा तक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने भौतिक शास्त्र से स्नातक तक पढ़ाई की और राजस्थान विश्वविद्यालय से वकालत डिग्री हासिल की। बारहवीं की कक्षा के बाद उनका चयन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ-साथ राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के लिए भी हो गया था लेकिन उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की डिग्री ली। स्नातक के बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी लेकिन वकालत को अपना करियर बनाया।
1979 में राजस्थान बार काउंसिल की सदस्यता ली
उन्होंने 1979 में राजस्थान बार काउंसिल की सदस्यता ली और 1990 में उच्च न्यायालय वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किये गये। फरवरी 1979 में सुदेश धनखड़ के साथ पाणिग्रहण संस्कार हुआ और उनके परिवार में पुत्र दीपक और पुत्री कामना आयीं। पुत्र दीपक का 14 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वकालत करते समय वह सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे। वह इस दौरान उच्चतम न्यायालय में भी वकील के रूप में अपनी सेवायें देते थे और देश के अन्य न्यायालयों में भी उन्होंने मुकदमे लड़े। वह उच्च न्यायालय बार एसोसियेशन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
राजनीति में उनका आखिरी पड़ाव भारतीय जनता पार्टी रही
धनखड़ ने राजनीतिक यात्रा दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल से शुरू की थी और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए। राजनीति में उनका आखिरी पड़ाव भारतीय जनता पार्टी रही। वह 1979 के बीच झुंझनू लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और इस दौरान विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे। जनता दल के विभाजन के बाद वह एच डी देवगौड़ा के खेमे में चले गये थे। जनता दल में वह मुख्य रूप से देवीलाल के करीबी थे और देवीलाल ने ही उन्हें झुंझने से चुनाव लड़वाया था। केन्द्र में नरसिंह राव सरकार बनने के बाद वह कांग्रेस में चले गये थे। वह बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये और 1953 से 1958 तक किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने 2003 में भाजपा का ध्वज उठा लिया। मोदी सरकार में जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया था, जहां उन्होंने जनता के राज्यपाल के रूप में सक्रियता दिखाई। इसको लेकर उनका ममता सरकार से तनाव भी दिखा लेकिन उन्हें उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी के साथ दार्जिलिंग में राजभवन में उनकी मुलाकात चर्चा में रही थी। धनखड़ के इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया जो उनके प्रति तृणमूल के समर्थन के रूप में देखा गया और विपक्ष के उम्मीदवार श्रीमती मार्गरेट अल्वा ने इसको निराशा भी जतायी थी। धनखड़ 10 अगस्त को वर्तमान उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल संपन्न होने के बाद इस पद और इसके साथ ही राज्य सभा के सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे।
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