देश भर में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाऊन में लाखों मजदूर अपने राज्यों से घर वापिसी की मांग कर रहे थे और आखिर केंद्र सरकार ने उनकी घर वापिसी को भी स्वीकार कर लिया है। इसी तरह कई राज्यों की मांग पर मजदूरों की वापिसी के लिए केंद्र ने रेलगाड़ियां चलाने की मंजूरी दे दी है। लेकिन यह कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण होगा और खतरे से खाली भी नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र से तीन हजार लोगों की वापिसी पंजाब के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इस बात की चर्चा है कि महाराष्ट्र में इन सभी व्यक्तियों की रिपोर्ट नेगेटिव थी, परन्तु पंजाब में 200 के करीब इन व्यक्तियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। महाराष्ट्र से पंजाब के 2200 किलोमीटर के सफर में यह लोग कहीं रुके या नहीं? ये लोग वायरस से पीड़ित कैसे हुए? यह सवाल काफी पेचीदा हो गया है।
यह बात स्पष्ट है कि मजदूरों की वापिसी भी सरकारों के लिए बड़ी अग्नि परीक्षा ही है। लाखों मजदूरों को रवाना करने से पहले क्या इतनी बड़ी संख्या में उनके कोरोना टैस्ट संभव हो सकेंगे? रास्ते में कोरोना बचाव से पूरे नियमों की पालना हो सकेगी? ये कई सवाल हैं जिनके प्रति सतर्क रहने और जिम्मेदार होने की आवश्यकता है। विभिन्न स्थानों पर क्वारंटाईन किए मजदूर जब घर जाने के लिए एकत्रित होंगे तब सामाजिक दूरी रखना बेहद कठिन कार्य होगा। हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग को कायम रखने के लिए रेलगाड़ियों या बसों में यात्रा आम दिनों की अपेक्षा आधे से भी कम लोगों के बैठने की अनुमति दी गई है। राज्य सरकारों के लिए यह जरूरी हो गया है कि इस कार्य को सफल बनाने में किसी भी प्रकार की कोई कमी न छोड़ी जाए और जल्दबाजी में कोई कदम न उठाया जाए। मजदूरों का भी यह कर्तव्य है कि वह धैर्य से रहें और नियमों का पूरी तरह से पालन करें।
इस तथ्य को भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि भले ही केंद्र सरकार ने लॉकडाऊन को 17 मई तक बढ़ा दिया है लेकिन सरकार आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए भी प्रयत्नशील है। सरकार कुछ कारखाने चलाने की अनुमति दे चुकी है और अगले दिनों में इनका दायरा बढ़ाया जा सकता है इसीलिए मजदूरों को दोबारा काम वापिसी पर भी विचार करना पड़ेगा। क्योंकि एक बार घर जाने के बाद फिर रोजगार स्थल पर दोबारा वापिसी मजदूरों के लिए धन, समय यहां तक कि स्वास्थ्य की बर्बादी बन सकती है।
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