नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में विनिर्माण उद्योग को प्रोत्साहित करने पर बल दिए जाने के महत्व को गुरुवार को रेखांकित करते हुए कहा, “यह देश केवल दूसरे देशों के सामान का बाजार बन कर रह जाए, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। ” उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में अभी विनिर्माण कारोबार का योगदान कम है लेकिन संभावनाएं विशाल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा और प्रतिभाशाली आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश, लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों जैसे सकारात्मक कारकों के बल पर हमें दृढ़ संकल्प के साथ मेक इन इंडिया की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए।
मोदी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा बजट 2022-23 के प्रावधानों पर केंद्रित आन लाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। यह प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित आठवां बजट-उपरांत वेबिनार है। इस संगोष्ठी का विषय था ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ (दुनिया के लिए करें भारत में विनिर्माण)। मोदी ने कहा कि इस बार के बजट में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। उन्होंने कहा, “ यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत जैसा देश केवल एक बाजार बनकर रह जाए। ” उन्होंने महामारी और अन्य अनिश्चितताओं के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की ओर इशारा करते हुए कहा कि इससे मेक इन इंडिया का महत्व और भी बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा,“ युवा और प्रतिभाशाली आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश, लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों जैसे सकारात्मक कारकों के बल पर हमें दृढ़ संकल्प के साथ मेक इन इंडिया की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए। ” उन्होंने जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट (त्रुटि और प्रदूषण से मुक्त) विनिर्माण के अपने आह्वान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “अगर हम राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में देखें तो आत्मनिर्भर भारत और भी महत्वपूर्ण है। ”
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